प्रवासी मजदूरों को वोटिंग से बाहर करना चाहती है सरकार : प्रशांत किशोर

बेगूसराय । जन सुराज अभियान के तहत बिहार के विभिन्न जिलों का दौरा कर रहे प्रशांत किशोर (पीके) ने बेगूसराय के बखरी विधानसभा क्षेत्र में एक जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान जनसैलाब उमड़ा और जनता के बीच खासा उत्साह देखने को मिला। सभा के बाद पत्रकारों से बात करते हुए पीके ने केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय सांसद गिरिराज सिंह पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और सत्ताधारी दल मिलकर एसआईआर के बहाने समाज के वंचित, गरीब और प्रवासी लोगों का नाम वोटर लिस्ट से काटने की साजिश रच रहे हैं।

प्रशांत किशोर ने गिरिराज सिंह के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने कहा था कि एसआईआर को लेकर विपक्षी पार्टियां लोगों को भ्रमित कर रही हैं। पीके ने कहा कि सरकार को मालूम है कि बिहार से बाहर मजदूरी करने गए बच्चे जब लौटेंगे, तो वे एनडीए के खिलाफ वोट देंगे। इसलिए भाजपा और चुनाव आयोग के सहयोग से उनका नाम वोटर लिस्ट से हटाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट कर चुका है कि जिसके पास आधार कार्ड है, वह वोट देने का अधिकारी है और चुनाव आयोग किसी की नागरिकता तय नहीं कर सकता।

पीके ने भरोसा दिलाया कि जिसका भी नाम काटा जाएगा, उसके लिए हम लोग लड़ेंगे। लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि नाम कटने के बाद भी जो लोग वोटर लिस्ट में बचेंगे, वही भाजपा और नीतीश कुमार को सत्ता से बाहर करने के लिए काफी होंगे।

मुंगेर के जमालपुर में जनसभा की अनुमति न मिलने के सवाल पर पीके ने बेबाकी से कहा कि जनता को किसी की परमिशन की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि हम जामवंत हैं और जनता हनुमान है। हम सिर्फ जनता को उसकी ताकत दिखाने आए हैं। पीके ने दावा किया कि जन सुराज के दबाव में ही सरकार को कई योजनाओं और लाभों में बदलाव करने पड़े, जैसे बुजुर्गों की पेंशन जो 20 वर्षों से ₹400 पर रुकी थी, वह बढ़ाई गई और आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय और रसोइयों का वेतन भी दोगुना हुआ। उन्होंने कहा कि अब सरकार डोमिसाइल नीति लागू करने जा रही है, जो बताता है कि जनता के पास यदि विकल्प हो तो लोकतंत्र में असली बदलाव संभव है।

बिहार में डोमिसाइल नीति को लेकर हो रही घोषणाओं पर भी पीके ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अभी सरकार सिर्फ टीआरई-4 (शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया) के लिए डोमिसाइल लागू करने की बात कर रही है, वह भी 85 प्रतिशत आरक्षण तक सीमित है। उन्होंने नीतीश कुमार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि 2023 में जब प्रधानमंत्री बनने का लालच था, तो डोमिसाइल नीति हटा दी गई। तीन लाख शिक्षकों की बहाली हो गई, जिसमें अधिकांश बिहार से बाहर के लोग शामिल हो गए। अब जब चुनाव सामने है, तो फिर से डोमिसाइल की बात हो रही है, लेकिन यह सिर्फ दिखावा है। पीके ने दो टूक कहा कि जन सुराज की मांग है कि बिहार में कम से कम दो-तिहाई डोमिसाइल आरक्षण हमेशा के लिए लागू हो।

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