देशव्यापी ‘मनरेगा बचाओ अभियान’ शुरू करेगी कांग्रेस

लोकतंत्र और संविधान पर हो रहा हमला : खड़गे

नई दिल्ली । कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को खत्म करने के खिलाफ देशभर में अभियान चलाने की अपील की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पांच जनवरी से पूरे देश में ‘मनरेगा बचाओ अभियान’ शुरू करेगी। वहीं, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी खड़गे की तरह ही अपील की है।

कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक के बाद खड़गे ने बताया कि इस बैठक में कांग्रेस नेताओं ने मनरेगा को बचाने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि पार्टी इस मुद्दे पर जनता के बीच जाएगी और सरकार के फैसले का विरोध करेगी। खड़गे ने कहा कि मनरेगा केवल एक योजना नहीं है, बल्कि यह संविधान की ओर से दिया गया काम करने का अधिकार है। इसे कमजोर या खत्म करना गरीबों और मजदूरों के अधिकारों पर सीधा हमला है। उन्होंने यह भी कहा कि मनरेगा को खत्म करने के फैसले से लोग नाराज हैं और सरकार को इसके नतीजे भुगतने पड़ेंगे। खड़गे के अनुसार, कांग्रेस इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेगी और लोकतांत्रिक तरीके से विरोध जारी रखेगी।

खड़गे ने कहा कि मनरेगा को खत्म किए जाने के खिलाफ देशव्यापी अभियान चलाने की जरूरत है। उन्होंने तीन कृषि कानूनों का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह कड़े विरोध के बाद सरकार को वे कानून वापस लेने पड़े थे, उसी तरह मनरेगा के मामले में भी जनता की आवाज उठेगी। कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों को सीमित करने की एक ‘सुनियोजित साजिश’ है। उन्होंने कहा कि यह बैठक ऐसे समय में हो रही है, जब देश में लोकतंत्र, संविधान और नागरिकों के अधिकारों पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।

खड़गे ने कहा, मनरेगा यूपीए सरकार का एक दूरदर्शी कानून था, जिसकी सराहना पूरी दुनिया में हुई। उन्होंने कहा कि इस योजना का असर इतना बड़ा था कि इसका नाम महात्मा गांधी के नाम पर रखा गया। मनरेगा को खत्म करना महात्मा गांधी का अपमान है। यह काम करने के अधिकार पर सीधा हमला है।उन्होंने आरोप लगाया कि (केंद्र की नरेंद्र) मोदी सरकार ने बिना किसी अध्ययन, मूल्यांकन या राज्यों और राजनीतिक दलों से सलाह लिए इस कानून को रद्द कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने ऐसा ही तरीका तीन कृषि कानूनों के साथ अपनाया था। उन्होंने कहा कि मनरेगा को खत्म करने के खिलाफ पूरे देश में आंदोलन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले का हर जगह विरोध होना चाहिए और इसके लिए 2015 में जमीन अधिग्रहण कानून में किए गए बदलावों को वापस लेने का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है कि मनरेगा को लेकर ठोस योजना बनाएं और देशभर में जन अभियान शुरू करें।

उन्होंने कहा, राहुल (गांधी) जी ने वोट चोरी को लेकर कई उदाहरण और तथ्य सामने रखे हैं। भाजपा और चुनाव आयोग के बीच मिलीभगत है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे मतदाताओं के नाम न हटाए जाएं। खासकर दलितों, आदिवासियों, अत्यंत पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों के नाम न तो हटाए जाएं और न ही दूसरे मतदान केंद्रों में स्थानांतरिक किए जाएं। इसके लिए हमारे बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को घर-घर जाना होगा।

उन्होंने बांग्लादेश में हिन्दू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों की भी निंदा की और कहा कि पूरा देश इसे लेकर चिंतित है। खड़गे ने यह भी कहा कि कथित तौर पर भाजपा और आरएसएस से जुड़े संगठनों की ओर से क्रिसमस डे के आयोजनों पर किए गए हमलों से सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ा है और इससे दुनिया में भारत की छवि खराब हुई है।

बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की हार के बाद सीडब्ल्यूसी की यह बैठक पहली बार हो रही है। इसमें सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल सहित कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। पार्टी नेता शशि थरूर भी बैठक में मौजूद थे।

वहीं, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि मनरेगा को खत्म करना अधिकार पर आधारिक प्रणाली और देश के संघीय ढांचे पर सीधा हमला है। उन्होंने कहा कि यह फैसला गरीबों और राज्यों के अधिकारों को कमजोर करता है। राहुल गांधी ने कहा कि मनरेगा केवल एक रोजगार योजना नहीं थी, बल्कि यह एक विकास का ढांचा था, जिसकी सराहना पूरी दुनिया में की गई थी। इस योजना ने ग्रामीण भारत को मजबूती दी और लोगों को सम्मान के साथ काम करने का अधिकार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने बिना अपने मंत्रिमंडल से सलाह लिए और बिना किसी अध्ययन के मनरेगा को एकतरफा तरीके से खत्म कर दिया। राहुल गांधी ने कहा कि इतना बड़ा फैसला सोच-समझकर और चर्चा के बाद लिया जाना चाहिए था।

राहुल गांधी ने इसे राज्यों और गरीब लोगों पर किया गया घातक हमला बताया। उन्होंने कहा कि यह कदम भी उसी तरह एकतरफा है, जैसे पहले नोटबंदी का फैसला लिया गया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस फैसले का विरोध करेगी और इसके खिलाफ लड़ाई लड़ेगी। राहुल गांधी ने भरोसा जताया कि इस मुद्दे पर पूरा विपक्ष एकजुट होकर सरकार के इस कदम के खिलाफ खड़ा होगा।

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