नई दिल्ली, 29 अप्रैल । सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड की निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने धनशोधन मामले में झारखंड कैडर की अधिकारी की जमानत याचिका खारिज कर दी है। शीर्ष अदालत ने झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा सिंघल की जमानत से इनकार करने के आदेश में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि यह एक असाधारण मामला है।
न्यायमूर्ति संजीव वर्मा और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष के 17 में से 12 गवाहों से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा पूछताछ की गई है। अदालत ने उम्मीद जताई कि मामले की सुनवाई जल्द से जल्द पूरी हो जाएगी। कोर्ट ने निलंबित आईएएस अधिकारी से कहा कि जमानत के लिए कुछ समय और इंतजार करें क्योंकि यह कोई सामान्य नहीं है बल्कि असाधारण मामला है। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस मामले में कुछ लोग गंभीर रूप से गलत हैं और हमें उम्मीद है कि मुकदमा तेजी से आगे बढ़ेगा। कोर्ट ने कहा कि अगर यह मुकदमा लंबा चलता है या परिस्थिति में कोई बदलाव होता है तो पूजा सिंघल फिर से जमानत याचिका दाखिल कर सकती हैं।
प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से अदालत में पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि पूजा सिंघल ने हिरासत में रहने के दौरान अधिकतर समय अस्पताल में बिताया है। उन्होंने कहा कि कुल 687 दिनों की हिरासत के दौरान सिंघल ने 481 दिन हॉस्पिटल में बिताए। कोर्ट में पूजा सिंघल की तरफ से पेश हुए वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि रांची की जिस बिरसा मुंडा जेल में में सिंघल को हिरासत में रखा गया है, वहां पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं। पीठ ने अग्रवाल से कहा कि आरोप काफी गंभीर हैं और बरामद किए गए कैश की मात्रा भी अधिक है। अदालत ने कहा कि अगर यह मामला गंभीर नहीं होता तो सिंघल को पहले ही जमानत दे दी जाती।
15 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय ने सिंघल की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दावा किया था कि उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हिरासत में रहते हुए अपना अधिकांश समय जेल से बाहर बिताया है। शीर्ष अदालत ने ईडी के दावे को गंभीरता से लिया और सिंघल द्वारा हिरासत में बिताए गए समय के विवरण के साथ एक सारणीबद्ध चार्ट पेश करने को कहा। अदालत ने कहा कि अगर निलंबित आईएएस ने हिरासत का 50 प्रतिशत से अधिक समय अस्पताल में बिताया है, तो जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं होगी। इससे पहले 10 फरवरी, 2023 को शीर्ष अदालत ने सिंघल को दो महीने के लिए अंतरिम जमानत दी थी ताकि वह अपनी बीमार बेटी की देखभाल कर सकें।
यह मामला मनरेगा योजना के कार्यान्वयन में भ्रष्टाचार से जुड़ा है। प्रवर्तन निदेशालय ने खनन विभाग की पूर्व सचिव सिंघल पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया और कहा कि ईडी की टीम ने दो अलग-अलग मामलों में जाच के दौरान कथित अवैध खनन से जुड़ी 36 करोड़ रुपये से अधिक नकदी जब्त की है। 2000 बैच की आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल के अलावा, उनके पति, एक चार्टर्ड अकाउंटेंट पर भी मनी लॉन्ड्रिंग के तहत कार्रवाई की गई थी। गिरफ्तारी के बाद सिंघल को निलंबित कर दिया गया था। (एजेन्सी)
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