नई दिल्ली, 10 मई । देशभर में लोकसभा चुनाव का माहौल बना हुआ है। इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस दशक में संघर्षों, सत्ता परिवर्तन और कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण पूरी दुनिया में उथल-पुथल मचने वाली है। इसलिए भारत के लिए एक स्थिर और परिपक्व नेतृत्व का होना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में जयशंकर से जब वैश्विक शक्ति संतुलन का आकलन करने के लिए कूटनीति और राजनीति में अपने करीब 50 वर्षों के अनुभव का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया तो उन्होंने दुनिया की उस तस्वीर से बहुत अलग तस्वीर पेश की, जिसमें हम अभी रह रहे हैं।
चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के राजदूत रहे जयशंकर ने कहा, ‘बहुत सारे संघर्ष, तनाव और विभाजन! इन सभी कारकों के साथ मैं वास्तव में दशक के संतुलन के लिए एक बहुत ही टकराव भरे अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य को पेश कर रहा हूं।’
विदेश मंत्री ने विशेष रूप से अमेरिका के घटते प्रभाव, यूक्रेन में संघर्ष, गाजा में लड़ाई, लाल सागर में हमलों, दक्षिण चीन सागर में तनाव, विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में आतंकवाद की चुनौती और नई प्रौद्योगिकियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि आज इन सब का संयोजन, बड़े टकराव की तस्वीर पेश करता है। इस संदर्भ में यह जरूरी है कि मौजूदा लोकसभा चुनावों में मतदाता बुद्धिमानी से चुनाव करें ताकि भारत में स्थिर और परिपक्व नेतृत्व बना रहे।’
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार को बनाए रखने की वकालत करते हुए जयशंकर ने कहा, ‘मेरा मानना है कि आज देश के मतदाताओं को जो सबसे बड़ा विकल्प चुनना है वह यह है कि आप भारत सरकार के नेतृत्व के लिए किस पर भरोसा कर सकते हैं।’
अपनी कूटनीति से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत और मोदी सरकार का कद बढ़ाने वाले जयशंकर ने कहा कि टकराव पहले से ही हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज आप यूक्रेन में संघर्ष, गाजा में लड़ाई, लाल सागर में हमलों, दक्षिण चीन सागर में तनाव, विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में आतंकवाद की चुनौती देख सकते हैं। आपके समक्ष वैसी ही समस्या है जैसी चीन के साथ एलएसी पर है, लेकिन दूसरे देशों के चीन के साथ अपने मुद्दे हैं।
विदेश मंत्री ने इस बात पर भी ध्यान केंद्रित कराया कि संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रभाव कम होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका अभी भी दुनिया की प्रमुख शक्ति है। लेकिन कई कारणों से, आप कह सकते हैं अगली बहुत सारी शक्तियां अमेरिका के बराबर आ रही हैं। साथ ही अमेरिका ने खुद ही दुनिया को लेकर अपना रुख बदला है। (एजेन्सी)
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