नई दिल्ली । प्रवर्तन निदेशालय (ED) नेशनल हेराल्ड धनशोधन मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई नई एफआईआर पर संज्ञान लेते हुए कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ-साथ अन्य लोगों के खिलाफ नया आरोप पत्र दाखिल करेगा। इससे पहले दिन में दिल्ली की एक निचली अदालत ने अप्रैल में ईडी द्वारा सोनिया-राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के साथ-साथ कुछ अन्य लोगों के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र का संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था।
मंगलवार को ट्रायल कोर्ट के विशेष जज विशाल गोगने ने पाया कि इस मामले में चार्जशीट अपराध को लेकर एफआईआर के आधार पर नहीं, बल्कि एक निजी व्यक्ति की शिकायत के आधार पर दायर की गई है। विशेष जज ने कहा कि कानून के अनुसार इस आरोपपत्र पर संज्ञान नहीं लिया जा सकता। अपने आदेश के मुख्य अंश को सुनाते हुए न्यायाधीश ने कहा कि दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा इस मामले में पहले ही एफआईआर दर्ज करा चुकी है, इसलिए मामले में ईडी के तर्कों पर गुण-दोष के आधार पर फैसला करना फिलहाल जल्दबाजी होगी।
विशेष जज विशाल गोगने ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि गांधी परिवार पुलिस की एफआईआर पाने का हकदार नहीं। दरअसल मजिस्ट्रेट कोर्ट ने गांधी परिवार को नेशनल हेराल्ड मामले में एफआईआर की प्रति देने का निर्देश दिया था। विशेष जज ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को चुनौती वाली दिल्ली पुलिस की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश सुनाया। जज ने हालांकि कि कहा कि नेशनल हेराल्ड मामले में आरोपियों को यह सूचना दी जा सकती है कि एफआईआर दर्ज की है। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 3 अक्तूबर को कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।
अधिकारियों ने कहा कि अदालत ने ईडी ईसीआईआर (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) को रद्द नहीं किया है, जो पीएमएलए में पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी के समकक्ष है। इसे 30 मई, 2021 को दायर किया गया था और इस पर पूरा मामला आधारित है। इसी ईसीआईआर के आधार पर ईडी ने आरोप पत्र दाखिल किया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि गांधी परिवार ने व्यक्तिगत लाभ के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया और सोनिया-राहुल गांधी के स्वामित्व वाली निजी कंपनी यंग इंडियनने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की 2,000 करोड़ रुपये की संपत्तियों का मात्र 50 लाख रुपये में अधिग्रहण कर लिया, जो कि इसके वास्तविक मूल्य का काफी कम आंकलन था।
अधिकारियों ने बताया कि नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी की 2021 की ईसीआईआर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। अदालत ने केवल इतना कहा है कि आरोपपत्र का संज्ञान लेना अनुचित है। उन्होंने बताया कि ईडी ने अपने मामले और जांच को मजबूत कानूनी आधार पर बनाए रखने के लिए पुलिस की आर्थिक अपराधा शाखा की तीन अक्तूबर की प्राथमिकी को अपनी मौजूदा ईसीआईआर में मिला दिया है।
अधिकारियों ने को बताया कि एजेंसी ने इस मामले में जांच के दौरान एकत्र किए गए दस्तावेजी सबूत सितंबर में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के साथ साझा किए थे, जो तीन अक्टूबर को पुलिस द्वारा आपराधिक शिकायत दर्ज करने का आधार बने।उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा मामले में आरोप पत्र दाखिल किये जाने के बाद ईडी अपने स्तर पर नया आरोप पत्र दाखिल करेगी। अधिकारियों ने बताया कि ईडी नया आरोप पत्र दाखिल करने से पहले आरोपियों से दोबारा पूछताछ कर सकती है।
पीएमएलए के न्याय निर्णायक प्राधिकरण ने इस अंतरिम कुर्की आदेश को बरकरार रखा है और यह समझा जाता है कि दो आरोपपत्र (ईओडब्ल्यू और ईडी) दाखिल होने के बाद ईडी संपत्तियों को कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू करेगी। पुलिस (ईओडब्ल्यू) ने तत्कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 403 (संपत्ति का बेईमानी से दुरुपयोग), 406 (आपराधिक विश्वासघात) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत दर्ज प्राथमिकी में आरोप लगाए हैं और सोनिया गांधी, राहुल गांधी, कांग्रेस नेता सुमन दुबे और सैम पित्रोदा, यंग इंडियन और डोटेक्स मर्चेंडाइज लिमिटेड जैसी संस्थाओं, डोटेक्स के प्रवर्तक सुनील भंडारी, एजेएल और अज्ञात अन्य लोगों को नामजद किया है।
दरअसल ईडी ने चार्जशीट में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा व दिवंगत पार्टी नेताओं मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस के साथ एक निजी कंपनी यंग इंडियन पर साजिश रचने और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया है। इसमें आरोप लगाया गया है कि इन लोगों ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेट (एजेएल) की करीब 2000 रुपये की संपत्ति अर्जित की। एजेएल नेशनल हेराल्ड समाचारपत्र प्रकाशित करती है। ईडी ने यह भी आरोप लगाया है कि यंग इंडियन में गांधी परिवार के पास 76 फीसदी शेयर हैं, जिसने 90 करोड़ रुपये कर्ज के बदले एजेएल की संपत्तियों पर धोखाधड़ी से कब्जा किया था। ईडी ने इस मामले में कथित अपराध से प्राप्त धनराशि 988 करोड़ रुपये से अधिक आंकी है। उधर अदालत के आदेश पर कांग्रेस ने इसे अपनी जीत का दावा करते हुए आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार की अवैध और उसके राजनीति से प्रेरित अभियोजन पूरी तरह से उजागर हो गए हैं।
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