पटना । राष्ट्रीय जनता दल के आंदोलन के बाद बिहार में सियासत तेज हो गई है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि आरक्षण को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी राजद घड़ियाली आंसू बहा रहा है। राजद का आरक्षण लालू परिवार तक ही सीमित रहा है। लालू यादव को पत्नी, बेटा व बेटी के अलावा कभी किसी दलित, पिछड़े, अतिपिछड़े की याद नहीं आई। वह राजद आज आरक्षण के नाम पर दलितों, पिछड़ों व अतिपिछड़ों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है जो शुरू से ही इनकी हकमारी करता रहा है। राजद और कांग्रेस हमेशा अति पिछड़ों का अपमान करते और धोखा देते रहे हैं।
स्वास्थ मंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने अतिपिछड़ों के लिए गठित काका कालेलकर और मुंगेरीलाल कमीशन की रिपोर्ट को ढंडे बस्ते में डाल दिया और उसे कभी लागू नहीं किया। कांग्रेस ने 1953 में पिछड़े वर्गों के लिए गठित काका कालेलकर कमिटी की 1955 में आई रिपोर्ट को 45 वर्षों तक ठंडे बस्ते में रखा, न पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया न पिछड़ों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया। जनता पार्टी की उस सरकार ने 1978 में मंडल कमीशन का गठन किया, जिसमें भाजपा के अटल, आडवाणी भी शामिल थे। 1980 में पिछड़े वर्गों को सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए आई मंडल कमीशन की रिपोर्ट को कांग्रेस ने 10 वर्षों तक दबा कर रखा, अन्ततः भाजपा के सहयोग से गठित बीपी सिंह की सरकार ने 1989 में आरक्षण का प्रावधान किया।
मंगल पांडेय ने कहा कि मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू करने के बाद पिछड़े वर्ग को केवल सरकारी नौकरियां ही नहीं बल्कि विभिन्न शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण के जरिए नामांकन का मौका मिला। बिहार में पिछड़े वर्गों के लिए गठित मुंगेरीलाल कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर 1978 में कर्पूरी जी की उस सरकार ने नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था की जिसमें जनसंघ की ओर से कैलाश पति मिश्र जी मंत्री थे। इसके तहत सरकारी नौकरियों में पिछड़ों को एनेक्चर-1 और 2 के तहत आरक्षण लागू किया गया। कहा कि बिहार में जब 2005 में एनडीए (भाजपा-जदयू) की सरकार बनी तब जाकर स्थानीय निकाय के चुनाव में अति पिछड़ों को 20 प्रतिशत आरक्षण दिया गया जबकि राजद-कांग्रेस ने तो 2002 में एकल पदों पर आरक्षण का प्रावधान किए बिना ही पंचायत का चुनाव करा कर अति पिछड़ों की हकमारी कर ली।
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