पटना । स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय राष्ट्रीय जनता दल और लालू प्रसाद यादव पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि अपराधियों और बाहुबलियों से राजद को कभी परहेज नहीं रहा है। राजद की पूरी राजनीति ही अपराधियों और बाहुबलियों की बुनियाद पर टिकी रही है। 05 जुलाई, 1997 को राजद के गठन के बाद से ही चारा घोटाले जैसे भ्रष्टाचार के पांच-पांच मामलों में सजायाफ्ता लालू यादव राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हुए हैं। जिस दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष ही सजायाफ्ता हो, उसे भला अपराधियों से गुरेज कैसे हो सकता है?
मंगल पांडेय ने कहा कि बिहार के लोग आज भी नहीं भूले हैं कि लालू यादव किस तरह से तेल पिलावन, लाठी घुमावन रैली और लाठी रैला के जरिए अपने दबंगों, बाहुबलियों और अपराधियों का बेशर्म नुमाईश करते और बिहारवासियों में दहशत पैदा करते थे। 30 अप्रैल, 2003 वह काला दिन था जब पटना में तेल पिलावन, लाठी घुमावन रैली राजद ने आयोजित की थी और उसी दिन पटना से सटे खगौल में भाजपा के वरिष्ठ नेता सत्यनारायण सिन्हा की सरेशाम हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में राजद के बाहुबली नेता रीतलाल यादव आरोपित किए गए थे। मंगल पांडे ने कहा कि सत्ता बचाये रखने के लिए लालू ने हिस्ट्रिसिटर अपराधियों को राजनीति में एंट्री दी है।
मंगल पांडेय ने कहा कि लालू-राबड़ी राज की यह कोई पहली राजनीतिक हत्या नहीं थी। इसके पहले अजीत सरकार, देवेंद्र दुबे, बृजबिहारी प्रसाद की हत्या की लंबी शृंखला है।अपराधियों के राजनीतिक संरक्षण का ही नतीजा था कि एक दर्जन से ज्यादा बाहुबली विधायक बन कर राजद सरकार के पक्ष में खड़े रहे। मोहम्मद शहाबुद्दीन दर्जनों हत्या, अपहरण और लूट के मामलों में सजायाफ्ता व आरोपित होने के बावजूद राजद के मुख्य नीति निर्धारक समिति के सदस्य बने रहे। बिहार की राजनीति में जहां वर्षों तक लालू प्रसाद के संरक्षण में उनके दोनों साले साधु और सुभाष यादव का आतंक बना रहा, वहीं नाबालिग से रेप के आरोपित राजबल्लभ यादव, बाहुबली सुरेंद्र यादव, रामानंद यादव, टाल क्षेत्र के आतंक दुलारचंद यादव, बिंदी यादव, पप्पू यादव, ददन पहलवान, बालू माफिया अरुण यादव आदि भी लालू यादव के करीबी बने रहे। अपराध की दुनिया से राजद की राजनीति में आए ऐसे लोगों की एक लंबी सूची है। लालू ने समय-समय पर इन सबका अपने राजनीतिक हित में उपयोग किया और आज भी कर रहे हैं। इसलिए अपराध पर बोलने से पहले राजद को एकबार अपने गिरेबान में जरूर झांक लेना चाहिए।
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