पटना । सीतामढ़ी से जेडीयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर अपने विवादित बयान को लेकर पहले भी चर्चा में रहे हैं। उनका ताजा बयान फिर एक नए विवाद को जन्म दे सकता है। वैशाली में उनके अभिनंदन के लिए एक समारोह का आयोजन किया गया था। वहां वे कुछ ऐसा बोल गए, जो एनडीए के लिए हैरतअंगेज ही कहा जाएगा। इसके पहले भी उन्होंने एक ऐसा बयान दे दिया था, जो जेडीयू की विचारधारा के विपरीत था। उसे लेकर जेडीयू नेताओं की बोलती बंद हो गई थी। विपक्ष ने भी उनके बयान की आलोचना की थी।
देवेश चंद्र ठाकुर सांसद चुने जाने के पहले बिहार विधान परिषद के सभापति थे। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने एनडीए में सीटों के बंटवारे के बहुत पहले ही उन्हें सीतामढ़ी से संसदीय चुनाव में अपनी पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया था। सीतामढ़ी के सिटिंग सांसद सुनील कुमार पिंटू भी जेडीयू के ही थे, लेकिन उनकी बयानबाजी से आजिज आकर नीतीश ने पहले ही उन्हें टिकट न देने का मन बना लिया था। उनकी जगह नीतीश कुमार ने देवेश चंद्र ठाकुर को उम्मीदवार बनाने का ऐलान कर दिया था। अब ठाकुर भी अपने बयान से नीतीश कुमार को संकट में डालने से परहेज़ नहीं कर रहे।
लोकसभा चुनाव जीतने के बाद देवेश चंद्र ठाकुर ने ऐलानिया कहा था कि वे उनका काम कत्तई नहीं करेंगे, जिन्होंने उन्हें वोट नहीं दिया है। उनका इशारा एक खास कौम की ओर था, जिस पर एनडीए उम्मीदवारों को वोट न देने का संदेह जताया जाता रहा है। नीतीश कुमार इस तरह की बातों या भावना रखने के विरोधी रहे हैं। वैसे भी किसी जनप्रतिनिधि के लिए ऐसी बात शोभा नहीं देती। हालांकि बाद में ठाकुर ने सफाई दी थी कि उनके कहने का यह मतलब नहीं था, जैसा लोग सोच रहे हैं।
देवेश चंद्र ठाकुर के उस बयान पर चर्चा अभी बंद भी नहीं हुई थी कि उन्होंने एक ऐसा बयान दे दिया, जो न सिर्फ उनकी पार्टी जेडीयू को कहीं से कबूल होगी और न एनडीए में शामिल अन्य दलों को। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव वे अपने कामों की बदौलत जीते हैं, न कि किसी पार्टी की बदौलत। उन्हें नहीं मालूम कि आरजेडी से मुकाबले में भाजपा उनके आगे-पीछे रही कि जेडीयू या अन्य किसी दूसरे दल ने उनकी मदद की। वे अगर जीते हैं तो इसके पीछे पिछले 20 वर्षों से जनता के लिए उनका काम है। उनके कामों की वजह से ही जनता ने उनका साथ दिया है। ऐसा कहते समय वे भूल गए कि नीतीश कुमार का मान रखते हुए ही एनडीए के किसी अन्य घटक ने सीतामढ़ी सीट पर दावेदारी नहीं की। चूंकि नीतीश ने पहले ही उनकी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी थी, इसलिए सभी चुप रहे। उनके ताजा बयान पर जेडीयू की सफाई क्या आती है, यह देखना दिलचस्प होगा।
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