नई दिल्ली । पिछले दिनों बीआरएस के कई नेता कांग्रेस में शामिल हो गए। बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव ने मंगलवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि वह “संविधान की रक्षा के लिए ऑस्कर स्तर की कार्रवाई कर रहे हैं”। वहीं बीआरएस अध्यक्ष ने घोषणा की कि वे दलबदलू सदस्यों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी कर रहे हैं।
बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव ने कहा कि भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) अपने दलबदलू सदस्यों के खिलाफ कानूनी लड़ाई के लिए कमर कस रही है। उन्होंने घोषणा की कि वे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की योजना बना चुके हैं। दरअसल, पिछले दिनों दलबदल की लहर उठी, जिसमें बीआरएस के सात विधायक, छह एमएलसी और एक राज्यसभा सांसद ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली। इस बात से खफा बीआरएस प्रमुख और तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के बेटे केटीआर ने मंगलवार को कहा, “हम उन सभी लोगों से मिलेंगे जो संविधान के संरक्षक हैं।”
उन्होंने चुनाव आयोग, राष्ट्रपति, राज्यसभा के अध्यक्ष और लोकसभा अध्यक्ष से संपर्क करने की पार्टी की मंशा को रेखांकित किया। केटीआर ने कांग्रेस की जमकर आलोचना की। उन्होंने कहा कि 2023 के चुनावों में दलबदल को रोकने के लिए 10वीं अनुसूची में संशोधन करने का वादा किया गया था। बावजूद पार्टी संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन कर रही है। केटीआर ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि एक तरफ राहुल गांधी संविधान की प्रति दिखा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उनकी पार्टी इसका अपमान कर रही है। वह संविधान की रक्षा के लिए ऑस्कर स्तर का अभिनय कर रहे हैं। आप खरगोश के साथ नहीं दौड़ सकते और शिकारी कुत्तों के साथ शिकार नहीं कर सकते। केटीआर ने भाजपा और कांग्रेस के सभी पीड़ितों से दलबदल के खिलाफ लड़ने के लिए एक साथ आने का आग्रह किया।
केटीआर ने तेलंगाना में कांग्रेस सरकार पर हमला करते हुए दावा किया कि वह अपने चुनावी वादों को पूरा करने में विफल रही है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने 420 वादे किए थे। सरकार ने सात महीने पूरे कर लिए, लेकिन एक भी वादा पूरा नहीं किया गया।” हार की जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने कहा, “हमने कई कल्याणकारी योजनाएं लागू कीं, लेकिन ऐसा लगता है कि हम उन्हें लोगों तक प्रभावी ढंग से नहीं पहुंचा पाए।” उन्होंने कहा कि एनडीए या इंडी गठबंधन से जुड़े दलों को न केवल तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में बल्कि पूरे देश में हार का सामना करना पड़ा।
केटीआर ने कहा कि दलबदल करने वाले बीआरएस सदस्यों के खिलाफ एक याचिका पहले से ही तेलंगाना उच्च न्यायालय में लंबित है। उन्होंने कहा कि 2020 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, विधानसभा अध्यक्ष के पास दलबदल करने वाले पार्टी सदस्यों की स्थिति पर फैसला करने के लिए तीन महीने का समय है। उन्होंने कहा, “अगर अध्यक्ष न्याय नहीं करते हैं, तो हम सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि हम पिछले दो दिनों से कानूनी विशेषज्ञों से सलाह ले रहे हैं।” एजेन्सी
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