नई दिल्ली (ईएमएस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को कहा कि लोगों में अंगदान को लेकर झिझक पाई जाती है और इस नेक काम के प्रति जागरूकता बढ़ाने में डॉक्टर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के लिए इंतजार कर रहे लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। राष्ट्रपति दिल्ली के वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल के छठे दीक्षांत समारोह में बोल रही थीं।
मुर्मू ने कहा, अंग प्रत्यारोपण की समस्या को हल करने के लिए मृतकों के परिवारों से अंगदान और कृत्रिम अंगों का विकास जरूरी है। उन्होंने यह भी बताया कि अंगदान को लेकर लोगों में एक प्रकार की झिझक रहती है और इस झिझक को दूर करने में डॉक्टर मदद कर सकते हैं। डॉक्टरों का यह कर्वत्य है कि वे लोगों को अंगदान के महत्व और इसके नेक मकसद के बारे में जागरूक करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि अंगदान को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) की स्थापना की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि मेडिकल क्षेत्र में तकनीकी विकास के कारण इंजीनियरिंग और मेडिकल संस्थानों के बीच सहयोग बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), एमआरएनए तकनीकी, रोबोटिक्स और अन्य तकनीकों का इस्तेमाल चिकित्सा विज्ञान में बड़ा बदलाव लाने वाला है।
उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में देश की पहली सीएआर-टी सेल थेरेपी का शुभारंभ हुआ है, जिसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे और टाटा मेमोरियल अस्पताल (टीएमएच) के सहयोग से विकसित किया गया है।
मुर्मू ने वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल से आग्रह किया कि वे प्रमुख इंजीनियरिंग और तकनीकी संस्थानों के साथ मिलकर अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा दें। उन्होंने कहा, अंतर विभागीय ज्ञान सभी के लिए फायदेमंद होता है।
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