नई दिल्ली । चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने सेना के अधिकारियों जूनियर कमीशंड अधिकारियों (जेसीओ) और 18 ग्रेनेडियर्स से आए सैनिकों की एक सभा को संबोधित किया। यह सभा 1999 में करगिल युद्ध के दौरान लड़ी गई तोलोलिंग और टाइगर हिल की लड़ाई के 25 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित की गई। इस सभा को संबोधित करते हुए जनरल अनिल चौहान ने कहा कि तकनीकी प्रगति के कारण युद्ध का स्वरूप तेजी से बदल रहा है। देश की सशस्त्र सेनाओं को इस बदलाव को स्वीकार करना होगा।
बता दें कि भारतीय सेना ने चार जुलाई 1999 में टाइगर हिल को अपने कब्जे में ले लिया था। 18 ग्रेनेडियर्ड्स बटालियन ने करगिल युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हर साल 26 जुलाई को विजय दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
सभा को संबोधित करते हुए सीडीएस चौहान ने कहा कि देश की जनता को हमारी क्षमताओं पर भरोसा है, उसी के कारण हमारी यह आपार प्रतिष्ठा है। जो विरासत हमें मिली है, उसे हमारे पूर्वजों ने अर्जित की थी। भले ही हमने इसमें योगदान नहीं दिया, लेकिन इसका फल हमें मिल रहा है। उन्होंने आगे कहा कि यह व्यक्तिगत रूप से और सामूहिक रूप से हमें जिम्मेदारियां भी सौंपता है। एक सैनिक और एक समुदाय के रूप में कोई गलती नहीं कर सकता। विश्वास को कम नहीं कर सकते हैं।
सीडीएस चौहान ने कहा कि हम बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं। आज के जमाने में युद्ध का स्वरूप तेजी से बदल रहा है और हमें इसे स्वीकार करने के लिए हमेशा तैयार रहना होगा। हम एक पेशेवर सशस्त्र बल और एक महाशक्ति बनना चाहते हैं। यह हमारी इच्छा है। ऐसा तभी होगा, जब हम नई उर्जा और नए विचार के साथ काम करेंगे।
सीडीएस चौहान ने आगे कहा कि तकनीक विकास के कारण युद्ध का स्वरूप बदल रहा है। अतीत में युद्ध जीतने के लिए साहसी होना आवश्यक था, लेकिन भविष्य में केवल साहसी होने से कुछ नहीं होगा। हमें कल्पनाशील बनना होगा और अपना दिमाग खुला रखना होगा। उन्होंने बताया कि बेहतर तकनीक और रणनीति के साथ हथियारों को अपग्रेड किया जा रहा है और यह बहुत तेजी से हो रहा है। जनरल चौहान ने कहा कि लोग सशस्त्र बलों पर विश्वास करते हैं। अगर हमें इसे बरकरार रखना है तो हमें बदलाव लाना होगा। हम युद्ध में नहीं हार सकते हैं। एजेन्सी
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