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सेना में शामिल हुआ मॉड्यूलर ब्रिज सिस्टम, डीआरडीओ ने किया है विकसित

नई दिल्ली, 27 फरवरी । भारतीय सेना में आज मॉड्यूलर ब्रिज को शामिल किया गया है। मॉड्यूलर ब्रिज के सेना में शामिल होने से सेना की इंजीनियर्स कॉर्प्स की क्षमताओं में काफी विस्तार होगा और भौगोलिक रूप से चुनौतीपूर्ण जगहों पर भी सेना और टैंकों को तैनात करना आसान हो जाएगा। नई दिल्ली स्थित मानेकशॉ सेंटर में आयोजित हुए कार्यक्रम में आधिकारिक रूप से मॉड्यूलर ब्रिज को सेना में शामिल किया गया। मॉड्यूलर ब्रिज को डिजाइन और विकसित डीआरडीओ ने लार्सन एंड टुब्रो के साथ मिलकर किया है। कार्यक्रम में भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज पांडे, सीडीएस जनरल अनिल चौहान, सेना, डीआरडीओ और रक्षा मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

रक्षा मंत्रालय ने मॉड्यूलर ब्रिज के 2585 करोड़ रुपये के सौदे को बीते साल फरवरी में मंजूरी दी थी। इस सौदे के तहत मॉड्यूलर ब्रिज के 41 सेट बनाए जाने हैं। मॉड्यूलर ब्रिज से सेना की सीमा पर मूवमेंट में जबरदस्त इजाफा होगा। खासकर पश्चिमी सीमा पर चुनौतीपूर्ण भौगोलिक स्थिति में मॉड्यूलर ब्रिज का काफी फायदा होगा। मॉड्यूलर ब्रिज के इस सौदे से रक्षा मामले में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।

मॉड्यूलर ब्रिज में एक 8×8 हैवी मॉबिलिटी वाहन, दो लॉन्चर वाहन शामिल है। मॉड्यूलर ब्रिज का हर सेट 46 मीटर लंबा मैकेनिकल ब्रिज बनाने में सक्षम है। ये मॉड्यूलर ब्रिज सेना के मैनुअली-लॉन्च मीडिया गिरडर ब्रिज की जगह लेंगे। मॉड्यूलर ब्रिज की मदद से कम समय में लंबा ब्रिज बनाया जा सकता है। ये मॉड्यूलर ब्रिज रक्षा क्षेत्र में भारत की बढ़ती क्षमताओं का सबूत है। (एजेन्सी)

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