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मोदी सरकार ने किसानों को ‘शकुनि की चौपड़ का मोहरा’ बना दिया : Randeep Surjewala

नई दिल्ली । राज्यसभा में बृहस्पतिवार को विपक्षी कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए दावा किया कि वह किसानों की आरती उतारने की बात करती है लेकिन उनके रास्तों में कांटे बिछाती है और उनके साथ न्याय नहीं करती। वहीं, सत्तापक्ष ने विपक्ष के इन आरोपों को सिरे खारिज करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार किसानों के कल्याण के साथ ही उनके सम्मान के प्रति भी गंभीर है तथा तत्कालीन संप्रग सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की सिफारिश को ठुकरा दिया था।

कांग्रेस सदस्य रणदीप सुरजेवाला ने नरेन्द्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उसने किसानों को ‘शकुनि की चौपड़ का मोहरा’ बना दिया है। उन्होंने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कामकाज पर उच्च सदन में हुई चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि यह सरकार किसानों के नाम पर दिखावा करती है। उन्होंने कहा कि यह सरकार किसानों के कल्याण की बात करती है, उनकी आरती उतारने की बात करती है लेकिन उनकी राहों में कांटे और नश्तर बिछाती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था लेकिन यह भी सरकार का एक और जुमला साबित हुआ।

सुरजेवाला ने कहा कि इस सरकार के नौ साल के आंकड़ों के अनुसार एक लाख से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या कर ली। उन्होंने कहा कि हर दिन देश में औसतन 31 अन्नदाता आत्महत्या कर लेते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को संवदेनशीलता दिखानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कृषि संबंधी स्थायी संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है किसानों की आय बढ़ने के बदले कम हो गयी है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार किसानों को सब्जबाग दिखाती है लेकिन उनके कल्याण के लिए काम नहीं करती।

सुरजेवाला ने कृषि से जुड़ी विभिन्न केंद्रीय योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि पर्याप्त राशि नहीं आवंटित की गयी। उन्होंने कहा कि बजट में कृषि क्षेत्र का आवंटन घटकर 2.74 प्रतिशत रह गया। इस क्रम में उन्होंने सोलर पंप संबंधी योजना का जिक्र किया और कहा कि देश के 72 करोड़ किसानों के लिए मात्र चार लाख सोलर पंप लगाकर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं।

उन्होंने दावा किया कि फसल बीमा योजना वास्तव में निजी बीमा कंपनी मुनाफा योजना बन गयी है और इस योजना के तहत किसानों के बदले बीमा कंपनियों को भारी मुनाफा हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार खेती को बंधक बनाने के लिए पहले तीन किसान विरोधी कानून लेकर आयी और किसानों ने उन कानूनों का विरोध किया और करीब एक साल तक वे दिल्ली की सीमा पर डटे रहे। उन्होंने कहा कि इस दौरान 700 किसानों की मौत हो गई।

उन्होंने ने कहा कि किसानों के विरोध के बाद सरकार ने उन कानूनों को वापस ले लिया लेकिन एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी नहीं दी। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह एमएसपी घोषित करती है लेकिन फसलों की खरीद ही नहीं करती तो ऐसे में एमएसपी का क्या फायदा है? उन्होंने कहा कि एक ओर सरकार ने बाजार हस्तक्षेप नीति को बंद कर दिया, वहीं उसने उर्वरकों पर लाखों रुपए की सब्सिडी कम कर दी।

#anugamini

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