नई दिल्ली (एजेन्सी)। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को मनरेगा योजना को लेकर केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की। खड़गे ने आरोप लगाया कि मनरेगा की आज जो स्थिति है, वह प्रधानमंत्री मोदी के ग्रामीण भारत से विश्वासघात का जीता जागता स्मारक है। खड़गे ने कहा कि 2005 में इसी दिन कांग्रेस के नेतृत्व वाली तत्कालीन यूपीए सरकार ने ग्रामीण भारत के करोड़ों लोगों को ‘काम का अधिकार’ सुनिश्चित करने के लिए ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम’ (मनरेगा) लागू किया था।
सोशल मीडिया मंच एक्स पर साझा एक पोस्ट में खड़गे ने लिखा कि वर्तमान में देश में 13.3 करोड़ सक्रिय श्रमिक हैं जो कम मजदूरी, बेहद कम कार्यदिवस और जॉब कार्ड रद्द होने के बावजूद मनरेगा पर निर्भर हैं। खड़गे ने आरोप लगाया कि प्रौद्योगिकी और आधार का उपयोग करने की आड़ में मोदी सरकार ने सात करोड़ से ज्यादा श्रमिकों के जॉब कार्ड रद्द कर दिए हैं। इसके चलते ये लोग मनरेगा से कट गए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया कि मनरेगा के लिए इस साल का बजट आवंटन कुल बजटीय आवंटन का सिर्फ 1.78 प्रतिशत है, जो 10 साल का सबसे कम है।
खड़गे ने तर्क दिया कि मोदी सरकार द्वारा कम आवंटन इस योजना को कृत्रिम रूप से दबाने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि हाल ही में संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि मनरेगा के तहत दी जाने वाली दैनिक मजदूरी अपर्याप्त है। उदाहरण के लिए, 2014 से उत्तर प्रदेश के लिए दैनिक मजदूरी दर में प्रति वर्ष सिर्फ 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि महंगाई इससे कहीं अधिक बढ़ी है। उन्होंने कहा कि आज एक मजदूर औसतन मात्र 213 रुपये प्रतिदिन कमाता है। लेकिन कांग्रेस राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी 400 रुपये प्रतिदिन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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