चेन्नई (ईएमएस)। मद्रास उच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को कल्लाकुरिची शराब त्रासदी की जांच अपने हाथ में लेने का आदेश दिया, जिसमें जून और जुलाई के दौरान तमिलनाडु में 68 लोगों की जान चली गई थी। अदालत ने अपराध शाखा-आपराधिक जांच विभाग (सीबी-सीआईडी) को दो सप्ताह के भीतर मामले की सभी सामग्री केंद्रीय एजेंसी को सौंपने का भी निर्देश दिया।
पीठ ने आदेश में कहा, सीबीआई को तीनों मामलों (जहरीली शराब त्रासदी से संबंधित) के सभी पहलुओं की जांच करने और यथाशीघ्र क्षेत्राधिकार वाली अदालत के समक्ष अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है। यह आदेश न्यायमूर्ति डी कृष्णकुमार और न्यायमूर्ति पीबी बालाजी की दूसरी खंडपीठ ने एआईएडीएमके के आईएस इनबादुरई, पीएम के केके बालू, डीएमडीके के बी पार्थसारथी और भाजपा के ए मोहन दास की तरफ से दायर रिट याचिकाओं की श्रृंखला के जवाब में जारी किया।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि तमिलनाडु में शराब त्रासदी एक आवर्ती मुद्दा बन गई है और पिछली सीबी-सीआईडी जांच पर्याप्त निवारक के रूप में कार्य करने में विफल रही है। पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता एनएल राजा, वी राघवचारी और अधिवक्ता ‘एलिफेंट’ जी राजेंद्रन की तरफ से की गई दलीलों से सहमति जताते हुए निष्कर्ष निकाला कि इस मामले में महत्वपूर्ण जानमाल के नुकसान के कारण सीबीआई हस्तक्षेप की आवश्यकता है। एक अलग लेकिन सहमत फैसले में, न्यायमूर्ति बालाजी ने टिप्पणी की कि कल्लकुरिची की घटना को शराब के दुरुपयोग के खतरों को दूर करने के लिए एक सामाजिक चेतावनी के रूप में काम करना चाहिए।
उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि स्थानीय अधिकारियों की नजर में नकली शराब की बिक्री कैसे हो सकती है, उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन पुलिस की पूरी नजर में होता है, जो इस पर आंखें मूंदे हुए दिखाई देते हैं। न्यायमूर्ति बालाजी ने इस बात पर जोर दिया कि गहन और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए जांच को सीबी-सीआईडी से सीबीआई को सौंपना जरूरी है, जबकि उन्होंने पुलिस पर अवैध शराब के कारोबार पर ‘आंखें मूंदने’ का आरोप लगाया।
वहीं मद्रास उच्च न्यायालय की तरफ से कल्लाकुरिची शराब त्रासदी मामले को सीबीआई को सौंपे जाने पर अधिवक्ता बालू ने कहा, इस त्रासदी में 67 लोगों की मौत हुई थी। आज मद्रास उच्च न्यायालय ने सीबी-सीआईडी को आगे की जांच के लिए सभी कागजात सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया है। हमें लगता है कि इस निर्णय के बाद असली आरोपी और अपराधी सामने आ जाएंगे।
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