खड़गे ने पार्टी में ‘गैर-जिम्मेदार’ नेताओं को चेताया, कहा- ज़िम्मेदारी लें या फिर रिटायर हो जाएं

'मित्रों को सरकारी उपक्रम बेच रही है सरकार'

अहमदाबाद (ईएमएस)। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने चुनावों में कथित जालसाजी के विषय को लेकर बुधवार को केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला और अपनी पार्टी में जवाबदेही सुनिश्चित करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि जिम्मेदारी नहीं निभाने वालों को “रिटायर” हो जाना चाहिए। उन्होंने पार्टी अधिवेशन को संबोधित करते हुए मतपत्र से चुनाव की पैरवी की और यह आरोप भी लगाया कि सत्तारूढ़ दल ने ऐसी तकनीक विकसित कर ली है जिससे चुनावों में उसे फायदा और विपक्ष को नुकसान हो रहा है।

खड़गे ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा, पिछले 11 वर्षों में सत्ताधारी दल संविधान पर लगातार चोट कर रहा है। हमारी संवैधानिक संस्थाओं पर लगातार हमले हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का सदन में आसन से नाम लिया गया, लेकिन उन्हें बोलने नहीं दिया गया, जो लोकतंत्र के लिए लज्जा की बात है।

खड़गे ने वक्फ संशोधन विधेयक पर संसद में चर्चा का हवाला देते हुए कहा कि सरकार सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए देर रात तक संसद में चर्चा कराती रही, जबकि मणिपुर पर भोर के समय कुछ देर के लिए चर्चा कराई गई।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मणिपुर को लेकर कुछ छिपाना चाहती है। कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया कि लोकतंत्र को धीरे धीरे खत्म किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने 26 फीसदी टैरिफ (जवाबी शुल्क) लगाया, लेकिन सरकार ने इस विषय को संसद में उठाने नहीं दिया।

खड़गे ने आरोप लगाया कि मित्रों को सरकारी उपक्रमों को बेचा जा रहा है, जिससे वंचित तबकों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने दावा किया, अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन यह सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश को बेचकर जाने वाले हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष ने यह दावा भी किया कि चुनाव आयोग से लेकर संसद तक सरकार का विस्तार करने का प्रयास हो रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया में कहीं ईवीएम नहीं है, यह सिर्फ भारत में है।

खड़गे ने कहा, आपने (सत्तापक्ष) ऐसी तकनीक बना ली है जिससे आपको फायदा हो और विपक्ष को नुकसान होगा। अगर ऐसा ही रहा तो नौजवान उठेंगे और आपका हाथ पकड़कर कहेंगे कि ईवीएम नहीं होनी चाहिए। उन्होंने मतदाता सूची में कथित हेरफेर का हवाला देते हुए दावा किया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जैसी जालसाजी हुई वैसी कभी नहीं हुई। उनका कहना था कि हरियाणा में भी यह छोटे पैमाने पर हुआ। खड़गे ने कहा कि इसके खिलाफ लड़ना है।

उन्होंने सरकार पर देश के संघीय ढांचे पर हमले और विपक्ष शासित राज्यों के साथ पक्षपात का आरोप लगाया। कांग्रेस अध्यक्ष ने अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि जिला अध्यक्षों की नियुक्ति निष्पक्ष तरीके से होगी और चुनावों में उम्मीदवारों के चयन में उन्हीं की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।

खड़गे ने कहा, संगठन निर्माण में जिला अध्यक्षों की भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है। इसलिए इनकी नियुक्ति कांग्रेस के दिशानिर्देशों के अनुसार निष्पक्षता से होनी है।

उनके अनुसार, जिला अध्यक्ष को अपनी नियुक्ति के एक साल के अंदर बूथ कमेटी, मंडल कमेटी, ब्लॉक कमेटी और जिला कमेटी बेहतरीन लोगों को जोड़ते हुए बनाना है और इसमें कोई पक्षपात नहीं होना चाहिए।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, हमने भी देश भर से जिला अध्यक्षों की तीन बैठकों बुलाईं। राहुल जी और हमने उनसे बात की। उनसे जानकारी ली। हम भविष्य में उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया में जिला अध्यक्षों को शामिल करने वाले हैं।

उन्होंने गैर जिम्मेदार नेताओं को चेतावनी देते हुए कहा, साथ में यह भी कहना चाहता हूं कि जो लोग पार्टी के काम में हाथ नहीं बटाते, उन्हें आराम करने की आवश्यकता है। जो जिम्मेदारी नहीं निभाते उन्हें रिटायर होना चाहिए। खड़गे ने तमिलनाडु के राज्यपाल से संबंधित उच्चतम न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए कहा, मोदी सरकार और उनके द्वारा विपक्षी राज्यों में भेजे गए राज्यपालों को (न्यायालय ने) ऐसी फटकार लगाई कि वह जीवन भर याद रखेंगे।

खड़गे के अनुसार, भाजपा सरकार बार-बार यह बताने का प्रयास करती है कि भारत का विकास 2014 के बाद ही हुआ है, लेकिन अगर गुजरात का उदाहरण देखें तो यहां की अधिकतर संस्थाएं कांग्रेस के समय में बनीं। उन्होंने कहा, गांधी नगर जैसा आधुनिक शहर कांग्रेस की देन है। खड़गे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार हर रोज नए-नए नारे देती है और लोगों का ध्यान भटकाती है।

उन्होंने कहा, जब हमारे लोगों को अमेरिका से बेड़ियों में बांध कर वापस भेजा जाता है, तब हमारे प्रधानमंत्री एक शब्द नहीं बोलते। वैसे तो मोदी जी हर समय बोलते रहते हैं, लेकिन जब देश के लोगों पर अन्याय होता है, तो वह चुप हो जाते हैं।

इस अधिवेशन का विषय “न्याय पथ : संकल्प-समर्पण-संघर्ष” है। गुजरात में 64 साल के बाद कांग्रेस का अधिवेशन हो रहा है।

इस अधिवेशन में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए एक शोक प्रस्ताव भी पारित किया गया जिसमें देश के लिए उनके योगदान का उल्लेख किया गया है। सिंह का पिछले साल 26 दिसंबर को निधन हो गया था। कांग्रेस के कई अन्य नेताओं को भी श्रद्धांजलि दी गई जिनका हाल के महीनों में निधन हुआ है।

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