रांची (ईएमएस) । केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आरोप कि झारखंड में बांग्लादेश से बड़े पैमाने पर घुसपैठ के कारण झारखंड में ‘माटी, बेटी, रोटी’ खतरे में है। उन्होंने ये भी कहा कि कांग्रेस आलाकमान ने अभी तक अपने राज्य प्रभारी गुलाम अहमद मीर के उस बयान की निंदा नहीं की है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो वह घुसपैठियों समेत सभी को एलपीजी सिलेंडर देंगे।
उन्होंने शुक्रवार को आदिवासी शहीद बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी, इसके साथ ही सिद्धू-कान्हू, पोटो हो और फूलो झानो जैसे अन्य आदिवासी क्रांतिकारियों को भी श्रद्धांजलि दी। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘इन आदिवासी नेताओं ने ‘जल, जंगल, जमीन’ को बचाने के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था। लेकिन अब आदिवासी शहीदों की वह जमीन अवैध घुसपैठियों के कारण खतरे में है जो जमीन हड़प रहे हैं और आदिवासी महिलाओं के सम्मान के साथ खेल रहे हैं।
शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया कि संथाल परगना क्षेत्र के कई गांवों में आदिवासी अल्पसंख्यक बन गए हैं, जिनमें दुमका के भोगनाडीह में शहीद सिद्धो और कान्हू का गांव भी शामिल है। उन्होंने कहा, अभी या कभी नहीं वाली स्थिति है। इसलिए, यह कोई साधारण चुनाव नहीं है, न ही नई सरकार चुनने के लिए, बल्कि यह माटी, बेटी और रोटी के लिए चुनाव है, जो अवैध घुसपैठ के कारण दांव पर लगी हुई है।
झारखंड के प्रभारी कांग्रेस नेता गुलाम अहमद मीर के ‘घुसपैठियों’ को भी 450 रुपये में एलपीजी सिलेंडर देने के वादे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह सत्तारूढ़ गठबंधन की राज्य में घुसपैठियों की मौजूदगी के बारे में कबूलनामे को दर्शाता है और उन्हें कांग्रेस और जेएमएम की तरफ से संरक्षण दिया जा रहा है। शिवराज सिंह चौहान ने कहा, कांग्रेस नेता भाजपा पर विभाजनकारी राजनीति करने का आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन इस तथ्य को किसी और ने नहीं बल्कि झारखंड के कांग्रेस प्रभारी ने स्वीकार किया है। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि गुलाम अहमद मीर के बयान की अभी तक सोनिया गांधी, राहुल गांधी और इसके अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे जैसे कांग्रेस नेताओं ने निंदा या खंडन नहीं किया है। उन्हें अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।
संथाल परगना क्षेत्र में भाजपा के प्रमुख चुनावी मुद्दे घुसपैठ के बारे में शिवराज सिंह चौहान ने ‘तेजी से बदलती’ जनसांख्यिकी और ‘घटती’ आदिवासी आबादी पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने आरोप लगाया, सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार संथाल परगना में आदिवासियों की आबादी 44 प्रतिशत से घटकर 28 प्रतिशत रह गई है, जबकि पाकुड़ और साहेबगंज जिलों में स्थिति कुछ अलग नहीं है, जहां दर्जनों गांवों में घुसपैठिए बहुसंख्यक हो गए हैं।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अगर हम आज आदिवासियों और मूलवासियों (गैर-आदिवासी मूल निवासी) के साथ खड़े नहीं हुए, तो स्थिति गंभीर हो जाएगी। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि स्थिति ‘अभी नहीं, तो कभी नहीं’ जैसी है। उन्होंने दावा किया कि संताल परगना के दर्जनों गांवों को अब ‘जमाई टोला’ के नाम से जाना जाता है, क्योंकि घुसपैठिए आदिवासी महिलाओं से शादी करते हैं, उन्हें पंचायत चुनाव लड़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और इन महिलाओं के जीतने के बाद पंचायत निकायों पर कब्जा कर लेते हैं। उन्होंने कहा, हम एक कानून बनाएंगे और घुसपैठियों की तरफ से हड़पी गई आदिवासी जमीन वापस लेंगे।
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