बेंगलुरु , 22 मार्च । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को कहा कि उसने ‘आरएलवी एलईएक्स-02’ लैंडिंग प्रयोग के माध्यम से पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
यह परीक्षण कर्नाटक के चित्रदुर्ग में वैमानिकी परीक्षण रेंज में सुबह सात बजकर 10 मिनट पर किया गया और यह इस शृंखला का दूसरा परीक्षण है। अंतरिक्ष एजेंसी ने एक बयान में बताया कि पिछले साल किए गए आरएलवी-एलईएक्स-01 मिशन के बाद आरएलवी-एलईएक्स-02 ने हेलीकॉप्टर से छोड़े जाने के बाद पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान (आरएलवी) की स्वायत्त लैंडिंग क्षमता का प्रदर्शन किया।
इसमें कहा गया है, ‘‘आरएलवी को फैलाव के साथ अधिक कठिन करतब करने, ‘क्रॉस-रेंज’ एवं ‘डाउनरेंज’ दोनों को सही करने और पूरी तरह से स्वायत्त मोड में रनवे पर उतरने के लिए बनाया गया था।’’
इसरो ने बताया कि भारतीय वायु सेना का चिनूक हेलीकॉप्टर पंखों वाले पुष्पक नामक इस यान को ऊपर लेकर गया और इसे 4।5 किलोमीटर की ऊंचाई से छोड़ा गया। उसने बताया कि रनवे से चार किलोमीटर की दूरी पर छोड़े जाने के बाद ‘पुष्पक’ स्वायत्त तरीके से ‘क्रॉस-रेंज’ सुधार करते हुए रनवे पर पहुंचा। यह सटीक तरीके से रनवे पर उतरा और अपने ब्रेक पैराशूट, लैंडिंग गियर ब्रेक और नोज व्हील स्टीयरिंग प्रणाली का उपयोग करके रुका।
इसमें कहा गया है कि इस मिशन ने अंतरिक्ष से लौटने वाले आरएलवी की उच्च गति की लैंडिंग स्थितियों का सफलतापूर्वक अनुकरण किया। (एजेन्सी)
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