महंगाई काबू में है और इसके बढ़ने का जोखिम नहीं : निर्मला सीतारमण

नई दिल्ली (ईएमएस)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि जीएसटी दरों में कटौती समेत अन्य सुधार लोगों को ज्यादा उपभोग के लिए प्रेरित करेंगे और इसके परिणामस्वरूप आर्थिक वृद्धि के साथ अर्थव्यवस्था को जरूरी गति मिलेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा कि महंगाई काबू में है और इसके बढ़ने का जोखिम नहीं है।

जीएसटी परिषद ने माल एवं सेवा कर के चार स्लैब की जगह दो स्लैब करने का फैसला किया। अब कर की दरें पांच और 18 प्रतिशत होंगी जबकि विलासिता एवं सिगरेट जैसी अहितकर वस्तुओं पर 40 प्रतिशत की विशेष दर लागू होगी। सिगरेट, तंबाकू और अन्य संबंधित वस्तुओं को छोड़कर नई कर दरें 22 सितंबर से प्रभावी हो जाएंगी।

दरों को युक्तिसंगत बनाये जाने के तहत टेलीविजन एवं एयर कंडीशनर जैसे उपभोक्ता वस्तुओं के अलावा खानपान और रोजमर्रा के कई सामान समेत करीब 400 वस्तुओं पर दरें कम की गयी हैं।

सीतारमण ने कहा, जीएसटी दरों में कटौती के साथ सुधारों की दिशा में जो कदम उठाये गये हैं वास्तव में यह लोगों को ज्यादा उपभोग के लिए प्रेरित करेगा। इसमें कोई संदेह नहीं है। सीतारमण ने कहा, यह सुधार 2017 में एक राष्ट्र, एक कर व्यवस्था लागू होने के बाद से अबतक का सबसे बड़ा सुधार है और इसे आम आदमी को ध्यान में रखकर किया गया है। रोजमर्रा की जरूरत की हर वस्तु पर लगने वाले कर की कड़ी समीक्षा की गई है और ज्यादातर मामलों में दरों में भारी कमी आई है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आज लोग 100 रुपये में जो चीजें खरीद रहे हैं, उतने ही पैसे में वे वस्तु का ज्यादा हिस्सा खरीद सकते हैं।

सीतारमण ने कहा, इसलिए दरों में इस कमी से मासिक घरेलू राशन और चिकित्सा बिलों में कमी आएगी। साथ ही यह पुरानी कार की जगह नई कार लेने, रेफ्रिजरेटर या वॉशिंग मशीन जैसी पुरानी वस्तुओं की जगह नई चीजें खरीदने जैसी आकांक्षाओं को भी पूरा करने में मददगार होगी।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले, 2025-26 के बजट में उन्होंने 12 लाख रुपये तक की सालाना आय (नौकरीपेशा के लिए मानक कटौती के साथ 12.75 लाख रुपये) को कर मुक्त किये जाने की घोषणा की थी। इससे लोगों के जेब में अधिक पैसा आने और खपत बढ़ने की उम्मीद है।

मुद्रास्फीति के बारे में उन्होंने कहा कि महंगाई पहले से ही काफी हद तक नियंत्रण में है तथा यह कुछ समय से नियंत्रण में बनी हुई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जुलाई में घटकर 1.55 प्रतिशत रही जो जून, 2017 के बाद सबसे कम है। यह भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर दो प्रतिशत से छह प्रतिशत के दायरे से भी नीचे है।

एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने से वित्त वर्ष 2025-26 में खुदरा महंगाई को 0.65 से 0.75 प्रतिशत तक कम करने में मदद मिल सकती है.

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में उम्मीद से अधिक जीडीपी वृद्धि और खपत बढ़ने को देखते हुए क्या 6.3 प्रतिशत से 6.8 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि के अनुमान को बढ़ाया जा सकता है, इस बारे में सीतारमण ने कहा, यह संभव है। उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर में उम्मीद से अधिक 7.8 प्रतिशत रही। सरकार के अनुमान के अनुसार, पूरे वित्त वर्ष 2025-26 में इसके 6.3 से 6.8 प्रतिशत रहने की संभावना है।

जीएसटी में सुधार और राजस्व में कमी से राजकोषीय घाटा पर असर पड़ने के बारे में पूछे जाने पर सीतारमण ने कहा, ‘‘जीएसटी दरों में कमी के कारण 4,8000 करोड़ रुपये राजस्व में कमी के अनुमान से राजकोषीय घाटे को नीचे लाने की योजना पर असर नहीं पड़ेगा।

उन्होंने कहा, जो अनुमान है वह एक स्थिर संख्या है जो आधार वर्ष पर आधारित है, … ऐसे में मुझे लगता है कि 22 सितंबर से खपत में वृद्धि आय में उछाल को बढ़ाएगी। काफी हद तक, यह 48,000 करोड़ रुपये की राशि हम इसी वर्ष पूरी कर पाएंगे। इसलिए मुझे अपने राजकोषीय घाटे या राजकोषीय प्रबंधन पर कोई प्रभाव नहीं दिखता। मैं अपने आंकड़ों पर ही कायम रहूंगी।

सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 4.4 प्रतिशत रखने का लक्ष्य रखा जो 2024-25 से कम है।

यह पूछे जाने पर कि जीएसटी दरों में कटौती से मध्यम वर्ग के परिवारों को घरेलू खर्च में कितनी बचत होने का अनुमान है, सीतारमण ने कहा, अभी नहीं। लेकिन हम 2-3 महीने बाद इस बारे में कुछ कह पाएंगे। हमें एक सकारात्मक और एक नकारात्मक पहलू को ध्यान में रखना होगा। 22 सितंबर से लोग खरीदारी शुरू कर देंगे, ठीक वैसे ही जैसे कोविड के बाद तेजी से खरीदारी शुरू हुई थी। यह एक सकारात्मक बात होगी। लेकिन, यह एक चुनौती भी होगी। दिसंबर के बाद, जनवरी-मार्च तिमाही में शायद यही उछाल बरकरार न रहे। इसलिए, यह जानने के बाद ही मैं कह सकती हूं कि जीएसटी दरों में कटौती से किसी परिवार को कितना फायदा होगा।

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