नई दिल्ली, 12 सितम्बर (एजेन्सी)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि पौधों की किस्मों और किसानों के अधिकारों की सुरक्षा के मामले में भारतीय कानून पूरी दुनिया के लिए मॉडल बन सकते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के चलते यह और अहम हो गए हैं। दिल्ली में पूसा कॉम्पलेक्स में किसानों के अधिकारों पर पहली वैश्विक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने ये बात कही।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने पौधों की किस्मों और किसान अधिकार कानून ( पीपीवीएफआर) से साल 2001 में ही इस मामले में बढ़त हासिल कर ली थी। पीपीवीएफआर कानून के तहत भारत में किसानों को कई अधिकार जैसे रजिस्टर्ड वैरायटी के बीजों को इस्तेमाल, बचत, बेचने और साझा करने जैसे अधिकार मिलते हैं। किसान अपनी खुद की वैरायटी के बीजों को भी रजिस्टर करा सकते हैं, जिससे किसानों को सुरक्षा मिलती है। जलवायु परिवर्तन की स्थिति में भी इसकी काफी अहमियत है, जो संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करता है।
President Droupadi Murmu inaugurated the First Global Symposium on Farmers’ Rights in New Delhi. The President said that the farming fraternity is the true guardian of crop diversity.https://t.co/r5ei8oZ8ZI pic.twitter.com/3xE6Q0OcsA
— President of India (@rashtrapatibhvn) September 12, 2023
जलवायु परिवर्तन के चलते भारतीय किसानों द्वारा पारंपरिक फसलों, मोटे अनाज आदि का उत्पादन किया जा रहा है। इससे ना सिर्फ पारिस्थितिकी को फायदा होता है, साथ ही मोटे अनाज के सेहत के लिए भी कई फायदे हैं। साल 2023 को मोटे अनाज के वर्ष के तौर पर मनाया जा रहा है। राष्ट्रपति ने प्लांट अथॉरिटी भवन और एक ऑनलाइन पोर्टल का भी उद्घाटन किया। इस पोर्टल पर पौधों की विभिन्न किस्मों को रजिस्टर किया जा सकता है।
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