छत्रपति संभाजीनगर (एजेन्सी) । रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख समीर वी. कामत ने शनिवार को कहा कि भारत अगले दस वर्षों में रक्षा उपकरणों का एक प्रमुख निर्यातक बनेगा और इसका आयात घटकर पांच से दस फीसदी तक रह जाएगा। कामत ने कहा कि देश के रक्षा आयात में कमी आई है और पिछले साल के पूंजी अधिग्रहण बजट का करीब 90 फीसदी राशि स्वदेशी प्रणालियों पर खर्च किया गया।
समीर वी. कामत ने यह बातें छत्रपति शाहू इंजीनियरिंग कॉलेज में आयोजित ‘डिफेंस इनोवेशन चैलेंज फॉर एक्सीलेंस’ (डीआईसीई) कार्यक्रम के दौरान कहीं। जिसे मराठवाड़ा एक्सेलेरेटर फॉर ग्रोथ एंड इन्क्यूबेशन काउंसिल (मैजिक) की ओर से आयोजित किया गया था।
डीआरडीओ अध्यक्ष ने कहा कि यह हकीकत है कि दस साल पहले तक हम रक्षा प्रणालियों के प्रमुख आयातक देश थे। लेकिन अगर पिछले वर्ष के आंकड़ों को देखें, तो हमारे पूंजी अधिग्रहण बजट का करीब 90 फीसदी स्वदेशी प्रणालियों पर खर्च हुआ। मुझे भरोसा है कि आने वाले दस वर्षों में आयात नगण्य हो जाएगा। कोई भी देश सब कुछ नहीं बना सकता। इसलिए पांच से 10 फीसदी आयात रह ही जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने 2028 तक 50 हजार करोड़ रुपये के निर्यात और 2035 तक एक लाख करोड़ रुपये के निर्यात का लक्ष्य तय किया है। कामत ने कहा, रक्षा से जुड़े अनुसंधान पर खर्च बढ़ना चाहिए। हालांकि, हम अभी विकसित देश नहीं हैं और अन्य प्राथमिकताएं भी हैं। हमें प्रौद्योगिकी में अधिक निवेश करना होगा। वहीं, मैजिक के निदेशक प्रसाद कोकिल ने बताया कि इनोवेशन चैलेंज के लिए आवेदन 31 अक्तूबर तक खुले रहंगे और अंतिम दौर दिसंबर में होगा।
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