नई दिल्ली । भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने मंगलवार को कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), सेमीकंडक्टर, बायो-टेक और अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों के युग में, अमेरिका और भारत को अपने मूल्य प्रणालियों की रक्षा व बचाव के लिए प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी बने रहना चाहिए।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (आईसीईटी) गोलमेज सम्मेलन को संबोधित करते हुए, अपने अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन की उपस्थिति में, डोभाल ने प्रौद्योगिकी में उद्योग की भूमिका और स्थापना के बाद से आईसीईटी की प्रगति पर प्रकाश डाला।
डोभाल ने कहा कि आईसीईटी ने हमारी कल्पना से कहीं अधिक हासिल किया है। उन्होंने रक्षा नवाचार रोडमैप और स्टार्टअप में हुई प्रगति पर प्रकाश डालते हुए बढ़ते सेमीकंडक्टर उद्योग के महत्व पर जोर दिया। सुलिवन ने प्रौद्योगिकी साझेदारी के लिए तीन प्रमुख क्षेत्रों – नवाचार, उत्पादन और तैनाती का उल्लेख किया और निजी क्षेत्र के लिए सरकारी सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने उद्योग जगत के नेताओं से कहा कि अमेरिका में भारतीय उद्योग के लिए द्विदलीय समर्थन मौजूद है और पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण और आपूर्ति श्रृंखला निर्माण उत्पादन की कुंजी है। दोनों एनएसए ने स्वीकार किया कि मई 2022 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा शुरू किया आईसीईटी दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने में एक निर्णायक भूमिका निभाएगा।
सुलिवन ने कहा कि आईसीईटी का मूल विचार भारत और अमेरिका के एक-दूसरे का समर्थन करने और प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र में अधिक सहयोग को प्रोत्साहित करने, संयुक्त रूप से नवाचार करने और चुनौतियों का समाधान खोजने में सक्षम होने के विचार के बारे में है।
आईसीईटी एआई, सेमीकंडक्टर, बायोटेक और रक्षा नवाचार जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों पर दोनों देशों के बीच एक ऐतिहासिक समझौते का प्रतीक है।
कार्यक्रम में सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि आईसीईटी के तहत दोनों देश एआई, बायोटेक, महत्वपूर्ण सामग्री और खनिज, सेमीकंडक्टर व अन्य क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। इससे दोनों देशों के बीच संबंध और घनिष्ट होगा। सीआईआई ने कहा कि वह इस महीने से अमेरिका में उद्योग प्रतिनिधिमंडलों को भेजना शुरू करेगा।
दोनों एनएसए ने कहा कि वे भारत-अमेरिका संबंधों को और करीब लाने में बाधा बनने वाले मुद्दों को दूर करेंगे।
पिछले सप्ताहांत स्विट्जरलैंड में आयोजित यूक्रेन पर शांति शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद अमेरिकी एनएसए भारत पहुंचे हैं। पीएम मोदी की सरकार के रिकॉर्ड तीसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में लौटने के बाद बाइडेन प्रशासन के किसी वरिष्ठ अधिकारी की यह पहली भारत यात्रा है। एजेन्सी
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