नई दिल्ली । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख वी नारायणन ने बुधवार को कहा कि नासा और इसरो मिलकर तैयार किया गया उपग्रह ‘निसार’ को इस शुक्रवार से आधिकारिक तौर पर काम करना शुरू कर देगा, यानी यह ऑपरेशनल हो जाएगा।
नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार) अब तक का सबसे महंगा ‘पृथ्वी अवलोकन उपग्रह’ माना जा रहा है। इसमें यह क्षमता है कि यह हर 12 दिनों में दो बार पृथ्वी की ज्यादातर भूमि और बर्फ से ढकी सतहों की निगरानी कर सकता है। 2,400 किलोग्राम वजनी निसार उपग्रह को 30 जुलाई को श्रीहरिकोटा स्थित इसरो के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से जीएसएलवी रॉकेट के जरिये लॉन्च किया गया था।
नारायणन ने कहा, डाटा की पूरी जांच हो चुकी है और सात नवंबर को हम एक कॉन्क्लेव में इस उपग्रह को औपचारिक रूप से ‘ऑपरेशनल’ घोषित करेंगे। ‘एमर्जिंग साइंस, टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन कॉन्क्लेव (ईएसटीआईसी)’ में उन्होंने यह जानकारी साझा की। निसार मिशन ऐसा पहला मिशन है जो दो एसएआर प्रणाली (एल-बैंड और एस-बैंड सेंसर) को एक साथ ले जा रहा है।
एल-बैंड रडार घने जंगलों की छतरी के आर-पार डाटा एकत्र कर सकता है और इससे मिट्टी में नमी, घनी वनस्पति (फॉरेस्ट बायोमास) और जमीन व बर्फ की सतहों की गति मापी जा सकती है। वहीं एस-बैंड रडार छोटे पौधों और घास के इलाकों की स्थिति को बेहतर ढंग से पकड़ सकता है। यह कृषि भूमि, घास वाले पारिस्थितिक तंत्र और बर्फ में नमी का अध्ययन करने में सक्षम है। दोनों रडार प्रणाली बादलों और बारिश के बीच दिन-रात किसी भी समय डाटा एकत्र कर सकते हैं।
नारायणन ने कहा, अब तक मिला सभी डाटा बेहतरीन हैं। हर 12 दिन में पृथ्वी को स्कैन किया जा सकता है। यह उपग्रह बेहद उपयोगी साबित होगा। इसरो प्रमुख ने आगे बताया कि गगनयान मिशन का पहला मानव रहित परीक्षण जनवरी में किया जाएगा। इसरो का लक्ष्य है कि 2027 तक भारत के अंतरिक्ष यात्रियों को स्वदेशी रॉकेट से अंतरिक्ष में भेजा जाए। उन्होंने बताया कि इस मिशन के लिए अब तक 8,000 से ज्यादा परीक्षण किए जा चुके हैं। इसरो पहले तीन मानव रहित उड़ानें संचालित करेगा, उसके बाद अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा।
नारायणन ने यह भी कहा कि भारत 2028 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का पहला मॉड्यूल लॉन्च करने की योजना बना रहा है और 2035 तक इसके पांचों मॉड्यूल पूरी तरह संचालित कर दिए जाएंगे। यह भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन 52 टन का होगा, जिसमें तीन से चार अंतरिक्ष यात्री लंबे समय तक और छह सदस्य तक कम अवधि के मिशनों के लिए रह सकेंगे।
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