नई दिल्ली (ईएमएस)। जीरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामत ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पॉडकास्ट में बातचीत की। इस दौरान पीएम ने सफलता के बारे में बात की और चंद्रयान का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 की असफलता के बाद मैं जितना वैज्ञानिकों का आत्मविश्वास बढ़ा सकता था मैंने बढ़ाया। उसका नतीजा चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग थी।
पीएम मोदी ने कहा, जिस समय चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग थी, उस समय कई लोगों ने कहा था कि मुझे वहां नहीं जाना चाहिए। मैंने पूछा क्यों नहीं जाना चाहिए, तो लोगों ने कहा कि इसका पता नहीं होता कि सफल होगा भी या नहीं। कई देश विफल हो चुके हैं। फिर आप जाएंगे तो आप पर आ जाएगा। इस पर मैंने कहा कि तो क्या हुआ? अपयश लेने की मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं है क्या। मैं गया और हुआ ऐसा की चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के आखिरी समय हम असफल हो गए।
उन्होंने कहा, वहां बैठे सारे लोग काफी परेशान थे। प्रधानमंत्री को बताने की किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी की हम असफल हो गए हैं। मगर मैं समझ रहा था कि कुछ तकनीकी गड़बड़ी हुई है। आखिरकार एक वरिष्ठ अधिकारी ने मुझे आकर सब बताया। तब मैंने सबसे कहा कि कोई नहीं परेशान होने की जरूरत नहीं है। मैंने सबसे विदा ली और देर रात गेस्ट हाउस पहुंचा। मगर मुझे नींद नहीं आई।
उन्होंने आगे कहा, मैंने आधे-पौने घंटे बाद सबको फिर से बुलाया। मैंने कहा कि देखिए अगर यह सब लोग थक नहीं गए हैं तो जाने से पहले सुबह सात बजे इनसे बात करना चाहूंगा। देश का सबसे बड़ा सेटबैक था। सेटबैक से रोने धोने में जिंदगी नहीं बिताने वाला था। मैं सुबह गया और सभी वैज्ञानिकों से कहा कि अगर कोई विफल हुआ है तो यह मेरी जिम्मेदारी है। आपने कोशिश की इसलिए आप निराश मत हो। मैं जितना भी उन लोगों का आत्मविश्वास जगा सकता था उनमें जगाया और चंद्रयान-3 सफल हुआ।
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