शिकायतों के बीच चुनाव आयोग का बड़ा फैसला, होर्डिंग पर मुद्रक और प्रकाशक की पहचान होना जरूरी

नई दिल्ली, 10 अप्रैल । चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव को लेकर सख्त है। वह लगातार प्रयास कर रहा है कि इस बार का चुनाव शांतिपूर्ण और पारदर्शिता से हो। इसी क्रम में आयोग ने बुधवार को चुनाव प्रचार में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए होर्डिंग सहित मुद्रित चुनाव संबंधी सामग्री पर मुद्रक और प्रकाशक की पहचान देने का निर्देश दिया है।

चुनाव अधिकारी का कहना है कि यह फैसला नगर निगम के अधिकारियों के नियंत्रण वाले होर्डिंग स्थानों पर मुद्रक या प्रकाशक की पहचान के बिना होर्डिंग देखे जाने के बाद लिया गया।

आम आदमी पार्टी ने भी हाल में इस मुद्दे पर चुनाव आयोग से संपर्क किया था। चुनाव आयोग ने जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 127ए का हवाला दिया है। बता दें धारा 127ए मुद्रक और प्रकाशक का नाम और पता प्रदर्शित किए बिना चुनावी पर्चे, पोस्टर, तख्तियां या बैनर छापने या प्रकाशित करने पर प्रतिबंध लगाती है।

आयोग द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि प्रकाशकों की पहचान होना इसलिए जरूरी है, क्योंकि कोई पैसा खर्च होता है तो उसकी जानकारी मिल सके। वहीं अगर चुनावी अभियान के दौरान आचार संहिता का उल्लंघन पाया जाता है तो कार्रवाई की जा सके।

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने हाल ही में इस बिंदु को उजागर करने के लिए एक दोहा भी पढ़ा था कि गलत सूचना पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। उन्होंने गलत सूचना को एक बुलबुला के रूप में वर्णित किया था जो छूने पर फट जाता है।

बयान में कहा गया है, ‘इस निर्देश के साथ आयोग ने शहरी स्थानीय निकायों के प्रिंटरों, प्रकाशकों, लाइसेंसधारियों या ठेकेदारों पर जवाबदेही तय कर दी है, जो राजनीतिक विज्ञापन लगाने के लिए जगह किराए पर देते हैं।’ (एजेन्सी)

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