नई दिल्ली । राज्यपालों का दो दिवसीय सम्मेलन शनिवार को राष्ट्रपति भवन में संपन्न हुआ। सम्मेलन के दूसरे दिन की शुरुआत राज्यपालों के छह समूहों की ओर से अपने विचार विमर्श के आधार पर प्रस्तुति देने और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष भविष्य की रूपरेखा सुझाने के साथ हुई। इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि सार्थक और समग्र सामाजिक समावेश के लिए महिलाओं की भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है। महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित कर महिला सशक्तीकरण को मजबूत किया जा सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी पात्र नागरिक जनकल्याणकारी योजनाओं से वंचित न रहे, सरकार ने अंतिम छोर तक लाभ पहुंचाने पर बहुत जोर दिया है। इससे आम नागरिकों के जीवन में सुधार हुआ है।
राष्ट्रपति ने कहा कि राजभवनों का माहौल भारतीय लोकाचार को प्रतिबिंबित करना चाहिए। राज्यपालों को राजभवनों के साथ आम लोगों का जुड़ाव बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए। लोगों को राजभवन के प्रति अपने भवन के रूप में आत्मीयता की भावना होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कई राजभवन आम लोगों के लिए खुले हैं और अन्य लोग भी इसका अनुसरण कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि राजभवन सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करके जनता की सहभागिता बढ़ा सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी डिजिटल पहल की दुनियाभर में सराहना हो रही है। राजभवनों के कामकाज में डिजिटल माध्यम का उपयोग एक अच्छा उदाहरण पेश करेगा। राजभवन साइबर सुरक्षा, डाटा संरक्षण और तकनीकी इनोवेशन के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए सेमिनार और संगोष्ठियां भी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जन कल्याण और समग्र विकास के लिए सभी संस्थाओं का सुचारू संचालन बहुत जरूरी है। इस सम्मेलन में सभी संस्थाओं के बीच बेहतर समन्वय बनाने के उद्देश्य से चर्चा हुई।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि दो दिवसीय सम्मेलन ने सभी प्रतिभागियों के मन पर अमिट छाप छोड़ी है। इसमें महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि राज्यपालों को प्रभावी कामकाज के लिए संबंधित राज्य सरकारों से जानकारी प्राप्त करने और निरंतर संवाद बनाए रखने में संकोच नहीं करना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यपालों से राजभवनों में शासन का एक आदर्श मॉडल विकसित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राजभवनों के प्रभावी कामकाज के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने का निरंतर प्रयास होना चाहिए। उन्होंने राज्यपालों से अपने कामकाज में प्रौद्योगिकी को अपनाने और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने का भी आग्रह किया। उन्होंने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत के सुझाए गए प्राकृतिक खेती का भी उल्लेख किया और अन्य राज्यपालों से अन्य राजभवनों में प्राकृतिक खेती के मॉडल का अनुकरण करने और अपने परिसरों को रसायनों से मुक्त बनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राजभवनों को दूसरों के लिए प्रेरणा और प्रोत्साहन का स्रोत बनना चाहिए। एजेन्सी
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