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ईडी को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, बिना चूके गिरफ्तारी का लिखित आधार देना होगा

नई दिल्ली, 22 मार्च । सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) को बिना किसी अपवाद के आरोपी की गिरफ्तारी का आधार लिखित रूप में बताना ही होगा। अदालत ने अपने फैसले पर पुनर्विचार करने से इन्कार कर दिया। केंद्र सरकार की याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसके फैसले में कोई त्रुटि नहीं है, जिस पर पुनर्विचार की जरूरत हो। जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने अपने ‘चैंबर’ में ही समीक्षा याचिका पर विचार किया।

पीठ ने 20 मार्च को सुनाए गए अपने आदेश में कहा, हमने पुनर्विचार याचिकाओं और संबंधित दस्तावेजों पर गंभीरता से विचार किया। हमें आदेश में ऐसी कोई त्रुटि नहीं मिली, जिसे अस्पष्ट माना जा सके। अदालत के आदेश पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं है, इसलिए पुनर्विचार याचिकाएं खारिज की जाती हैं। पीठ ने पुनर्विचार याचिका की सुनवाई खुली अदालत में किए जाने का अनुरोध भी अस्वीकार कर दिया। केंद्र की अपील को ठुकराते हुए कोर्ट ने साफ किया कि ईडी के अधिकारियों को पूरी ईमानदारी के साथ ड्यूटी निभानी चाहिए।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के तीन अक्तूबर के उस आदेश की समीक्षा का आग्रह किया था। इसमें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों के साथ-साथ गिरफ्तारी मेमो को भी रद्द कर दिया गया था। साथ ही कोर्ट ने धनशोधन के एक मामले में गुरुग्राम स्थित रियल्टी समूह एम3एम के निदेशकों बसंत बंसल और पंकज बंसल को रिहा करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को कड़ी फटकार भी लगाई थी और कहा था कि उससे अपने आचरण में ‘प्रतिशोधात्मक’ होने की उम्मीद नहीं की जाती है और उसे पूरी ईमानदारी एवं निष्पक्षता के साथ काम करना चाहिए। देश में धनशोधन के आर्थिक अपराध को रोकने की कठिन जिम्मेदारी वाली जांच एजेंसी होने के नाते ईडी की हर कार्रवाई ‘पारदर्शी’ और निष्पक्षता के मानकों के अनुरूप होनी चाहिए।

शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि वर्ष 2002 के (पीएमएलए) अधिनियम की धारा 50 के तहत जारी समन के जवाब में गवाह का असहयोग उसे धारा 19 के तहत गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। गिरफ्तार व्यक्ति की गिरफ्तारी के आधार के बारे में सूचित करने के संबंध को धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधान का उल्लेख करते हुए अदालत ने कहा था कि हमारा मानना है कि अब से यह आवश्यक होगा कि गिरफ्तार व्यक्ति को स्वाभाविक रूप से और बिना चूके गिरफ्तारी के लिखित आधार की एक प्रति दी जाए। (एजेन्सी)

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