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डिजिटल मीडिया को जवाबदेह बनाना होगा : Ashwini Vaishnaw

नई दिल्ली (ईएमएस) । केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि पारंपरिक मीडिया आर्थिक रूप से नुकसान उठा रहा है, क्योंकि न्यूज पारंपरिक माध्यमों से डिजिटल माध्यमों की ओर तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस समस्या का उचित समाधान किया जाना जरूरी है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस के मौके पर केंद्रीय मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से दिए संबोधन में भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मीडिया के योगदान और आपातकाल के ‘काले दिनों’ के दौरान लोकतंत्र को बनाए रखने में मीडिया के योगदान को स्वीकार किया।

मीडिया के सामने चार प्रमुख चुनौतियों का जिक्र करते हुए वैष्णव ने कहा, हालांकि पत्रकारों की एक टीम बनाने, उन्हें प्रशिक्षित करने, समाचार की सत्यता की जांच करने के लिए संपादकीय प्रक्रिया व तरीके अपनाने और सामग्री की जिम्मेदारी लेने के पीछे जो निवेश होता है, वह समय और धन दोनों के लिहाज से बहुत बड़ा है। लेकिन वे अप्रासंगिक होते जा रहे हैं, क्योंकि पारंपरिक मीडिया के मुकाबले सौदेबाजी की शक्ति के मामले में इन प्लेटफार्मों की बढ़त बहुत असमान है।

वैष्णव ने फेक न्यूज व गलत सूचना को वर्तमान में मीडिया और समाज की चार चुनौतियों के पहला स्थान दिया। वैष्णव ने कहा, यह न सिर्फ मीडिया के लिए ही नहीं बल्कि लोकतंत्र के लिए भी बड़ा खतरा है क्योंकि भरोसे को कम करता है। चूंकि प्लेटफार्म यह सत्यापित नहीं करते हैं कि क्या पोस्ट किया गया है, इसलिए व्यावहारिक रूप से सभी प्लेटफॉर्म पर झूठी और भ्रामक जानकारी बहुतायत में पाई जा सकती है। नतीजतन तो बेहद जागरूक नागरिक हैं वे भी इस गलत सूचना के जाल में फंस जाते हैं।

केंद्रीय मंत्री ने पूछा, सवाल यह है कि इन प्लेटफार्मों पर प्रकाशित सामग्री की जिम्मेदारी कौन लेगा। उन्होंने बिचौलियों और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को तीसरे पक्ष की सामग्री के लिए उत्तरदायित्व से बचाने वाले ‘सेफ हार्बर’ प्रावधान पर फिर से विचार करने की वकालत की। वैष्णव ने कहा कि वैश्विक स्तर पर, एक ‘संरचना’ की प्रासंगिकता पर बहस चल रही है जो सुरक्षित हो। 1990 के दशक में जब इंटरनेट विकसित हो रहा था तब भी ऐसी ही संरचना की जरूरत महसूस हुई थी। उस वक्त डिजिटल माध्यम की उपलब्धता कुछ चुनिंदा लोगों तक ही सीमित थी। वे अधिकतर विश्वविद्यालय और शोध संस्थान थे।

वैष्णव ने कहा, पारंपरिक मीडिया को कंटेंट निर्माण में किए गए प्रयासों का समुचित प्रतिफल दिया जाना चाहिए। यह जिम्मेदारी इस कंटेंट का इस्तेमाल करने वाले मध्यस्थ प्लेटफार्म की है। उन्हें पारंपरिक मीडिया के प्रयासों की भरपाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा, डिजिटल माध्यम की आसान उपलब्धता के साथ आज स्थिति बदल गई है। यह बहुत आम और प्रचलित हो गया है। व्यावहारिक रूप से आप शहरों में हर व्यक्ति और ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी आबादी को देखते हैं, जिनके हाथों में अब मोबाइल फोन है और वे डिजिटल रूप से दुनिया तक पहुंच बना रहे हैं।

वैष्णव ने कहा, मीडिया और समाज के सामने बौद्धिक संपदा अधिकारों पर आर्टिफिशियल इंटेनिजेंस (एआई) का प्रभाव भी एक बड़ी चुनौती है। रचनाकारों, संगीतकारों, फिल्म निर्माताओं, लेखकों और लेखकों की निर्मित सभी सामग्री को एआई मॉडल से पचाया जा रहा है। ऐसे में रचनाकारों के बौद्धिक संपदा अधिकारों का क्या होता है? उन मूल रचनाकारों के लिए क्या परिणाम हैं? क्या उन्हें उनके काम के लिए मुआवजा दिया जा रहा है? क्या उन्हें उनके काम के लिए स्वीकार किया जा रहा है? वैष्णव ने कहा, प्रौद्योगिकी में इस तरह के बदलावों के तहत, मूल सामग्री रचनाकारों के लिए सुरक्षा क्या है? यह केवल एक आर्थिक मुद्दा नहीं है, बल्कि एक नैतिक मुद्दा भी है।

वैष्णव ने कहा, आइए हम पिछली शताब्दी में दमनकारी ताकतों से आजादी के हमारे दो बार के संघर्ष में प्रेस के योगदान को याद करके शुरुआत करें। पहला ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए लंबे समय तक चली लड़ाई थी। दूसरा, कांग्रेस सरकार के लगाए आपातकाल के काले वर्षों के दौरान लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई थी। मंत्री ने कहा, हमें इन संघर्षों को नहीं भूलना चाहिए क्योंकि इतिहास में खुद को दोहराने की प्रवृत्ति होती है और जो लोग इतिहास को भूल जाते हैं, उन्हें फिर से उन्हीं चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है।

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