नई दिल्ली, 04 सितम्बर (एजेन्सी)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने घर खरीदारों से कथित तौर पर धोखाधड़ी करने के मामले में गिरफ्तार हुए ‘आम्रपाली ग्रुप ऑफ कंपनीज’ के पूर्व मुख्य प्रबंध निदेशक (सीएमडी) अनिल कुमार शर्मा को जमानत दे दी है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि आरोपपत्र के अवलोकन से पता चलता है कि अभियोजन पक्ष ने 50 गवाहों का हवाला दिया है और जाहिर है कि यह एक लंबा मुकदमा होने जा रहा है और आरोपी को हिरासत में रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
न्यायमूर्ति विकास महाजन ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून को ध्यान में रखते हुए तथा इस तथ्य पर गौर करते हुए कि याचिकाकर्ता (शर्मा) ने भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत अपराध के लिए तय अधिकतम सजा की आधी अवधि पूरी कर ली है, मेरा मानना है कि याचिकाकर्ता को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436ए का लाभ दिया जा सकता है जिसे उच्चतम न्यायालय ने एक अनिवार्य प्रावधान माना है।’’
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने अनुभव जैन की शिकायत पर एक प्राथमिकी दर्ज की थी। जैन ने नोएडा के सेक्टर-76 में शर्मा की कंपनी की प्रस्तावित परियोजना ‘आम्रपाली सिलिकॉन सिटी’ के टावर जी-1 में 26 फ्लैट खरीदे थे।
जांच के दौरान यह पता चला कि नोएडा प्राधिकरण ने परियोजना में टावर जी-1 को कभी मंजूरी दी ही नहीं थी और शर्मा ने आपराधिक षडयंत्र के तहत शिकायतकर्ता को उस टावर में 26 फ्लैट बेचे या आवंटित किए थे। शिकायतकर्ता आरोपियों द्वारा दिए लालच में आकर निवेश करने के लिए राजी हो गया था और उसने नवंबर 2011 को फ्लैट के लिए 6.6 करोड़ रुपये का पूरा भुगतान कर दिया था।
मामले में 28 फरवरी 2019 को शर्मा तथा दो अन्य सह-आरोपियों शिव प्रिया और अजय कुमार को गिरफ्तार किया गया था।
शर्मा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील प्रमोद कुमार दुबे ने कहा कि आईपीसी की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी के अपराध में अधिकतम सजा सात साल है जबकि आरोपी पहले ही तीन साल और छह महीने से ज्यादा वक्त से हिरासत में है।
उन्होंने कहा कि सीआरपीसी की धारा 436ए के आवश्यक प्रावधानों को देखते हुए याचिकाकर्ता को वैधानिक जमानत दी जानी चाहिए क्योंकि वह आईपीसी की धारा 420 के तहत अपराध के लिए निर्धारित सजा की आधी अवधि से ज्यादा वक्त तक हिरासत में रह चुका है।
वकील ने कहा कि अभियोजन ने 50 गवाहों का हवाला दिया है और मुकदमे में फैसला आने में लंबा वक्त लग सकता है। उन्होंने उच्च न्यायालय से शर्मा को नियमित जमानत दिए जाने का अनुरोध किया।
अभियोजन पक्ष ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह ‘‘कई लोगों के साथ किया गया घोटाला’’ है और आरोपी को धारा 436ए का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए।
उच्च न्यायालय ने एक लाख रुपये के निजी मुचलके तथा इतनी ही राशि की दो जमानत देने पर शर्मा को राहत दे दी।
उच्च न्यायालय ने उन्हें अदालत की पूर्व अनुमति के बिना शहर न छोड़ने और मामले की सुनवाई होने पर निचली अदालत में पेश होने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा, ‘‘अपीलकर्ता/याचिकाकर्ता किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा और पीड़ित/शिकायतकर्ता या उनके परिवार के किसी भी सदस्य से संपर्क नहीं करेगा।’’
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