बंगलूरू (ईएमएस)। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने शुक्रवार को सुझाव दिया कि यदि किसी ने ठेकेदारों से उनके बिलों के भुगतान के लिए कमीशन की मांग की है, तो उन्हें लोकायुक्त के पास शिकायत दर्ज करानी चाहिए। उनकी यह प्रतिक्रिया कर्नाटक राज्य ठेकेदार संघ (केएससीए) की तरफ से आरोप लगाए जाने के एक दिन बाद आई है, जिसमें कहा गया था कि कमीशन का खतरा अब पिछली भाजपा सरकार से भी अधिक गंभीर हो गया है।
कर्नाटक राज्य ठेकेदार संघ ने दावा किया कि उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और दो अन्य वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों के कार्यालयों में अदृश्य दलाल सक्रिय हैं। वहीं इन आरोपों का जवाब देते हुए डिप्टी सीएम शिवकुमार ने मंत्रियों की संलिप्तता से इनकार किया और कहा, अगर किसी ने ठेकेदारों से बिलों के भुगतान के लिए कमीशन मांगा है, तो उन्हें लोकायुक्त के पास शिकायत दर्ज करानी चाहिए। हमारे मंत्री सतीश जरकीहोली और बोसराजू इसमें शामिल नहीं हैं।
विधानसभा में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा, अगर ठेकेदारों से कमीशन मांगा जाता है, तो उन्हें लोकायुक्त के पास शिकायत दर्ज करानी चाहिए। इस दौरान डीके शिवकुमार ने सवाल किया कि ठेकेदारों को बिल भुगतान के बारे में मंत्री से क्यों पूछना चाहिए? ‘क्या उन्हें (ठेकेदारों को) विभाग के बजट की जानकारी नहीं है? जब अनुदान ही नहीं है तो उन्होंने ठेका कैसे ले लिया?
उन्होंने कहा, भाजपा के कार्यकाल में अकेले मेरे विभाग ने एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के ठेके दिए थे। विधायक इन ठेकों के बिलों के भुगतान का अनुरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के दौरान उन्होंने विधानसभा चुनाव से एक साल पहले ही ठेकेदारों को चेतावनी दे दी थी। उन्होंने कहा, हमने उन्हें बिना फंड के कोई काम न करने की चेतावनी दी थी। हालांकि, हमारी बात सुने बिना ही वे अब राजनीतिक नेताओं के माध्यम से बिलों के भुगतान के लिए अनुरोध पत्र जारी कर रहे हैं।
गुरुवार को केएससीए अध्यक्ष आर मंजूनाथ ने कहा कि डीके शिवकुमार के कार्यालय में दलाल सक्रिय हैं और उन्होंने लोक निर्माण मंत्री सतीश जारकीहोली के एक रिश्तेदार की तरफ से उनके विभाग से संबंधित मामलों में हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने आगे दावा किया कि लघु सिंचाई मंत्री एनएस बोसराजू के बेटे (रवि बोसराजू) सभी सौदे करते हैं।
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