नई दिल्ली । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस पर आयोजित समारोह को संबोधित किया। राष्ट्रपति ने कहा, आज के दिन मैं उन संविधान निर्माताओं को सादर नमन करती हूं जिन्होंने विश्व इतिहास के सबसे विशाल लोकतन्त्र के सबसे बड़े लिखित संविधान को स्वरूप दिया। कार्यपालिका, विधायिका एवं न्यायपालिका ने संविधान के आदर्शों का पालन और मर्यादाओं का निर्वहन किया है। इसके लिए मैं इन तीनों स्तंभों से जुड़े लोगों की सराहना करती हूं।
उन्होंने कहा, भारत का संविधान हमारा राष्ट्रीय ग्रंथ है। संविधान के मूल्यों के अनुसार संस्थाओं और व्यक्तिगत जीवन को संचालित करना हमारा राष्ट्रीय धर्म है। राष्ट्रपति ने कहा, एक कानूनी दस्तावेज होने के बावजूद, जन-भागीदारी और व्यापक प्रतिनिधित्व के बल पर हमारा संविधान जनता का संदर्भ-ग्रंथ बन गया। आने वाली पीढ़ियां संविधान के साथ जुड़ाव महसूस करती रहें इसके लिए बच्चों को संविधान के बारे में रोचक जानकारी दी जानी चाहिए।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, हमारा संविधान विश्व इतिहास के सबसे बड़े गणराज्य का स्रोत है। यह विविधता में एकता का स्रोत है। यह विषमताओं की पृष्ठभूमि में स्थापित की गई समता का स्रोत है। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, समन्वयपूर्ण सांविधानिक व्यवस्था से हमारे नागरिक लाभान्वित होंगे तथा हमारा देश विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य की ओर अधिक तेज गति से आगे बढ़ेगा।
इससे पहले आज पुराने संसद भवन के केंद्रीय सभागार में आयोजित संविधान दिवस समारोह में राष्ट्रपति ने कहा था कि आज के दिन 26 नवंबर 1949 में संविधान सभा के सदस्यों ने भारत संविधान के निर्माण का कार्य संपन्न किया था। आज के दिन हम भारत के लोगों ने अपने संविधान को अपनाया था। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, स्वाधीनता के बाद संविधान सभा ने भारत की अंतरिम संसद के रूप में भी कर्तव्य का निर्वहन किया। बाबा साहब भीमराव आंबेडकर हमारे संविधान के प्रमुख निर्माता में से थे। बाबा साहब के 125 वीं जयंती के वर्ष में यानी 26 नवंबर 2015 में प्रतिवर्ष संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि संविधान राष्ट्र की पहचान की आधारशिला है और गुलामी की मानसिकता को त्यागने तथा राष्ट्रवादी सोच अपनाने का मार्गदर्शक दस्तावेज भी है। इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने तीन तलाक, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), अनुच्छेद 370 समेत कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि तीन तलाक से जुड़ी सामाजिक बुराई पर अंकुश लगाकर संसद ने हमारी बहनों और बेटियों के सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाए।
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