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कांग्रेस किसानों के मुद्दे पर सिर्फ घड़ियाली आंसू बहाती है : Nirmala Sitharaman

नई दिल्ली । वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा किसानों के मुद्दे पर कहा कि कांग्रेस किसानों के मुद्दे को लेकर घड़ियाली आंसू बहाती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के सबसे बड़े हितैषी हैं। पीएम मोदी किसान सम्मान निधि लेकर आए। इतना ही नहीं हमारी सरकार ने फसल बीमा योजाना लागू किया।

सीतारमण ने कहा कि यूपीए सरकार के समय 50 हजार करोड़ रुपए की ऋण माफी योजना घपला-घोटाले से भरी रही और 22 प्रतिशत मामलों में खातों में गडबड़ी पाई गई और करीब एक तिहाई किसानों को ऋण मुक्ति प्रमाण पत्र नहीं मिलने से उन्हें बैंकों से कर्ज मिलना बंद हो गया था। उन्होंने कहा कि बजट में युवाओं के लिए पांच नई योजनाएं शुरु की गई है और मुद्रा ऋण योजना में सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपए की गई है।

सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य को फसल की औसल लागत से 50 प्रतिशत ऊपर रखने के स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं किया था। यूपीए सरकार ने 2007 में इस रिपोर्ट को दरकिनार कर दिया था। उस समय किसानों के लिए व्यापक फसल बीमा योजना का वादा किया था, लेकिन उसे पूरा किया हमारी सरकार ने इसलिए कांग्रेस किसानों के लिए घड़यिालू आंसू बहाती है और काम कुछ नहीं करती है।

सीतारमण ने कहा कि है कृषि कल्याण की योजनाओं को उनकी सरकार महत्व दे रही है और इसी का परिणाम हैं कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के समय कृषि कल्याण के आवंटन के मुकाबले अब कई गुना बढ़ोतरी हुई है। सीतारमण ने बजट पर लोकसभा में चली रही चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि 2013-14 में कृषि तथा कृषि कल्याण के लिए 21 हजार 934 करोड़ रुपए थे जो अब बढकर 1.23 लाख करोड़ रुपए हो गया है। किसान सम्मान योजना के तहत 11 करोड़ किसानों को 3.24 लाख करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। कांग्रेस तथा इंडिया समूह किसानों को लेकर सिर्फ राजनीति कर रहा है।

सीतारमण ने कहा कि रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार में रोजगार में कोविड के बाद से वृद्धि हुई है जबकि यूपीए के समय 2012-13 में कोविड काल की तुलना में अधिक दर से रोजगार गिरा था। उन्होंने एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि एनडीए के 2014 से 2023 के कार्यकाल में 12.5 करोड रोजगार के अवसर सृजित हुए जबकि संप्रग के दस साल के कार्यकाल में यह संख्या मात्र 2.9 करोड़ थी। एजेन्सी

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