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‘नागरिकों को राजनीतिक धन का स्रोत जानने का अधिकार नहीं’, AG की सुप्रीम कोर्ट में दलील

नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (एजेन्सी)। राजनीतिक दलों की फंडिंग के लिए चुनावी बॉन्ड योजना को लेकर अटॉर्नी (एजी) जनरल आर. वेंकटरमणी ने उच्चतम न्यायालय में लिखित हलफनामा दाखिल किया है। उन्होंने शीर्ष अदालत को बताया कि नागरिकों को संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत धन के स्त्रोत के बारे में जानकारी का अधिकारी नहीं है। वेंकटरमी ने कहा कि उचित प्रतिबंधों के अधीन हुए बिना कुछ भी और सबकुछ जानने का कोई सामान्य अधिकार नहीं हो सकता है।

उन्होंने शीर्ष अदालत से कहा, यह योजना योगदानकर्ता को गोपनीयता का लाभ प्रदान करती है और योगदान किए जा रहे पारदर्शी धन को सुनिश्चित करती है और बढ़ावा देती है। यह कर दायित्वों का पालन सुनिश्चित करती है। इस तरह यह किसी भी मौजूदा अधिकार का उल्लंघन नहीं करती है। शीर्ष अदालत के विधि अधिकारी ने कहा कि न्यायिक समीक्षा की शक्ति बेहतर या अलग नुस्खे सुझाने के मकसद से राज्य की नीतियों का अवलोकन करने के बारे में नही है।

उन्होंने कहा, एक संवैधानिक अदालत राज्य की कार्रवाई की समीक्षा केवल तभी करती है, जब यह मौजूदा अधिकारों का उल्लंघन करती है। वेंकटरमणी ने कहा, राजनीतिक दलों के योगदान का लोकतांत्रिक महत्व है और यह राजनीतिक बहस के लिए एक उपयुक्त विषय है। उन्होंने कहा, प्रभावों से मुक्त शासन जवाबदेही की मांग का मतलब यह नहीं है कि अदालत स्पष्ट संवैधानिक रूप से उल्लंघन करने वाले कानून के अभाव में ऐसे मामलों पर घोषणा करने के लिए आगे बढ़ेगी।

उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ राजनीतिक चंदे के लिए चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कल यानि 31 अक्तूबर से सुनवाई शुरू करेगी। सरकार द्वारा दो जनवरी, 2018 को अधिसूचित इस योजना को राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे के विकल्प के तौर पर पेश किया गया था।

योजना के प्रावधानों के मुताबिक, चुनावी बॉन्ड भारत के किसी भी नागरिक या भारत में निगमित या स्थापित इकाई द्वारा खरीदे जा सकते हैं। एक व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ चार याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। जिसमें कांग्रेस नेता जया ठाकुर और माकपा की याचिकाएं भी शामिल हैं।

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