नई दिल्ली । मणिपुर को लेकर भारतीय जनता पार्टी के अगले कदम पर अटकलें तेज हो गई हैं। इसकी वजह यह है कि पार्टी के दो वरिष्ठ केंद्रीय नेताओं, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष और पूर्वोत्तर के प्रभारी संबित पात्रा, ने मणिपुर से पार्टी के विधायकों के साथ लंबी बैठक की। यह बैठक रविवार को नई दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में हुई। पार्टी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा कि बैठक में ‘मणिपुर में शांति और प्रगति’ पर चर्चा हुई। खास बात यह रही कि इस बैठक में राज्य के दो विरोधी समुदायों, मैतेई और कुकी, से जुड़े विधायक एक ही छत के नीचे मौजूद थे।
सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय नेताओं ने मैतेई और कुकी समुदाय के विधायकों से आपसी मतभेद कम करने और भरोसे की खाई पाटने के लिए मिलकर काम करने को कहा, ताकि मणिपुर में स्थायी शांति स्थापित की जा सके। बैठक में लोकप्रिय सरकार के गठन का मुद्दा भी उठा, लेकिन केंद्र की ओर से आगे की रणनीति को लेकर कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया गया।
इस बैठक में मणिपुर भाजपा अध्यक्ष ए शारदा देवी भी मौजूद रहीं। करीब 30 से अधिक भाजपा विधायक इसमें शामिल हुए, जिनमें मणिपुर विधानसभा के अध्यक्ष टी सत्यब्रत सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह भी थे। कुकी समुदाय से आने वाले सात भाजपा विधायकों में से चार बैठक में पहुंचे, जबकि तीन विधायक कुछ अपरिहार्य कारणों से शामिल नहीं हो सके।
60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा, जिसका कार्यकाल 2027 तक है, फिलहाल निलंबित अवस्था में है। राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने शांति बहाली के लिए कई कदम उठाए, जिनमें सुरक्षा बलों से लूटे गए हथियारों को वापस जमा कराने की अपील भी शामिल है। मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा की शुरुआत तब हुई थी, जब मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाला गया था। अब इस ताजा बैठक के बाद राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज है कि मणिपुर को लेकर केंद्र और भाजपा आगे क्या फैसला ले सकती है।
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