नई दिल्ली (ईएमएस)। लोकसभा में मंगलवार को बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक पारित हो गया। इस दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विधेयक में किए गए संशोधनों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि संशोधनों से भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में प्रशासन मजबूत होगा। इसके अलावा निवेशकों की सुरक्षा और नॉमिनी के सम्मान के साथ ही ग्राहकों की सुविधा को बढ़ाएगा।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य प्रशासन मानकों को बेहतर करना और रिजर्व बैंक को बैंकों की ओर से की जाने वाली रिपोर्टिंग में स्थिरता देना है। संशोधन में यह साफ किया गया है कि जमाकर्ताओं और निवेशकों को बेहतर सुरक्षा मिले। साथ ही निजी क्षेत्र की बैंकों में सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हो।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि विधेयक पास हो जाने के बाद बैंकिंग विनियमन अधिनियम के तहत एक खाताधारक अपने खाते में चार नॉमिनी जोड़ सकेगा। इसके अलावा सहकारी बैंकों के अध्यक्ष और पूर्णकालिक निदेशकों के अलावा अन्य निदेशकों का कार्यकाल आठ से 10 वर्ष हो जाएगा। विधेयक में 19 संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं।
विधेयक पारित होने के बाद बैंक अपनी रिपोर्ट रिजर्व बैंक को हर शुक्रवार की जगह हर पखवाड़े के अंतिम दिन सौंपेंगे। इसके साथ ही गैर अधिसूचित बैंकों को शेष नकदी भंडार को व्यवस्थित रखना होगा। विधेयक में केंद्रीय सहकारी बैंक के निदेशक को राज्य सहकारी बैंक के बोर्ड में सेवा करने की अनुमति देने का भी प्रावधान किया गया है।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि विधेयक में एक और अहम बदलाव किया गया। अब तक अगर किसी खाते में सात वर्ष तक कोई लेन-देन नहीं होता था तो उसे निवेशक शिक्षा और सुरक्षा फंड में भेज दिया जाता था। इस संशोधन के बाद खाताधारक निवेशक शिक्षा और सुरक्षा फंड से राशि की वापसी का दावा कर सकता है।
विधेयक में भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949, भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम, 1955, बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 और बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1980 में संशोधन का प्रस्ताव किया गया था।
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