गुवाहाटी (एजेन्सी)। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति ने पूर्वोत्तर राज्यों की चिंता बढ़ा दी है। बांग्लादेश अब फिर से उग्रवादियों का केंद्र बन सकता है और वे अवैध रूप से इन राज्यों में प्रवेश कर सकते हैं। मगर हमें उम्मीद है कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर राज्यों की चिंता को तवज्जो देगी। साथ ही बांग्लादेश की नई सरकार के साथ बातचीत करेगी।
डेरगांव में एक कार्यक्रम के दौरान असम के सीएम ने कहा कि बांग्लादेश के मौजूदा घटनाक्रम ने चिंता बढ़ा दी है। अगर समस्या जारी रही तो हमें डर है कि असम इससे प्रभावित होगा। भारत-बांग्लादेश सीमा की रक्षा की जानी चाहिए, क्योंकि वहां के लोग सीमा के जरिये अवैध रूप असम में घुसने की कोशिश कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि शेख हसीना के शासन के दौरान उग्रवादियों को बांग्लादेश छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। मुझे भरोसा है कि बांग्लादेश की नई सरकार भी भारत के साथ अपने सहयोग को जारी रखेगी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर राज्यों की चिंता को दूर किया जाएगा और बांग्लादेश को उग्रवादियों को सुरक्षित ठिकाना नहीं बनने दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने पहले एक्स पर पोस्ट किया था कि इन मौजूदा स्थिति में बांग्लादेश सीमा सुरक्षा को लेकर मैं असम के भविष्य 2041 के बारे में सोचता हूं। उन्होंने कहा कि मैं वर्तमान में आगे बढ़ने के लिए शक्ति और धैर्य की प्रार्थना करता हूं। हम उज्ज्वल कल की नींव रखेंगे और अपनी संस्कृति और धर्म की रक्षा करेंगे।
बता दें कि बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन में मरने वालों की संख्या 400 के पार हो गई है। सेना की ओर से स्थिति को काबू करने के प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफा देने के बाद राष्ट्रपति मोहम्मद शाहबुद्दीन ने नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का कार्यवाहक बनाया गया है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि राज्य में लाखों युवाओं को सरकारी नौकरी मिली और भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा। डेरगांव में असम वन रक्षक बल की पासिंग आउट परेड में मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरी भर्ती प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी रही। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार में बड़ी शैक्षिक और गुणात्मक पीढ़ी सरकारी नौकरी से वंचित थी। मैनें 2001-2004 तक विश्लेषण के बाद पाया कि असम पुलिस में 30-35 फीसदी भर्तियां समुदाय विशेष से की जाती हैं। इसके बाद असम सरकार पुलिस और वन रक्षक बलों में भर्ती में हर समुदाय, धर्म और जाति के लोगों को प्राथमिकता दे रही है।
उन्होंने नव नियुक्त 940 रंगरूटों से अपनी जिम्मेदारी को निष्ठा से निभाने के लिए कहा और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि असम में वन क्षेत्र 26800 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है। हमें जंगलों और विविध वन्यजीवों को बचाना है। साथ ही अवैध गतिविधियों को रोकना है। 940 नए कांस्टेबल मिलने से असम वन रक्षक बल की ताकत दोगुनी हो गई है। खास बात यह है कि इसमें 10 फीसदी महिलाएं हैं। अब वनरक्षक बल में 784 से बढ़कर 1724 जवान हो गए हैं। जल्द ही नए रंगरूटों की तीसरी बटालियन तैयार करेंगे।
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