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आंध्र प्रदेश सरकार ने अदालत में कहा- चंद्रबाबू की जमानत रद्द करें, उनके परिजनों ने अधिकारियों को धमकी दी

नई दिल्ली, 26 फरवरी । आंध्र प्रदेश सरकार ने ‘कौशल विकास निगम घोटाले’ में तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) प्रमुख एन चंद्रबाबू नयडू को मिली जमानत रद्द करने का आग्रह किया। राज्य सरकार ने सोमवार को शीर्ष अदालत से कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री के परिजनों ने जांच में बाधा डालने के लिए लोक सेवकों को धमकाने वाले बयान दिए हैं।

मामले पर सुनवाई न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मित्तल की पीठ कर रही थी। राज्य सरकार ने पीठ को बताया कि चंद्रबाबू नायडू के परिवार के सदस्यों ने सार्वजनिक रूप से बयान दिया है कि सत्ता में आने पर वे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।

शीर्ष अदालत आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के 20 नवंबर 2023 के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उच्च न्यायालय ने नायडू को मामले में नियमित जमानत दी थी। आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी पेश हुए। उन्होंने पीठ से कहा कि चंद्रबाबू के परिजन कह रहे हैं कि जब हम सत्ता में आएंगे तो हम इन सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।

रोहतगी ने कहा, “विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) में मेरी (आंध्र प्रदेश सरकार) अंतिम प्रार्थना जमानत रद्द करने की है। मैं जमानत के आदेश के खिलाफ अपील कर रहा हूं। मैं आपको ऐसी परिस्थिति बता रहा हूं जो महत्वपूर्ण है।” राज्य सरकार ने वकील महफूज ए नाजकी के जरिए सर्वोच्च न्यायालय में आवेदन दाखिल किया है और अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने की अनुमति मांगी है।

इस आवेदन में कहा गया, “मौजूदा आवेदन के जरिए आवेदक (आंध्र प्रदेश सरकार) 19 दिसंबर 2023 को प्रतिवादी (चंद्रबाबू नायडू) के बेटे नारा लोकेश द्वारा दिए गए दो इंटरव्यू की ट्रांसक्रिप्ट अतिरिक्त दस्तावेज रिकॉर्ड के जरिए दाखिल करना चाहता है।” राज्य सरकार ने कहा, “इन इंटरव्यू की सामग्री से पता चलता है कि नारा लोकेश और चंद्रबाबू नायडू दोनों सरकारी अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को डरा रहे हैं और बयान दे रहे हैं, ताकि मामले की जांच में बाधा पैदा हो सके।”

राज्य सरकार ने कहा कि इन दोनों इंटरव्यू की ट्रांसक्रिप्ट इस बात को तय करने के लिए महत्वपूर्ण है कि चंद्रबाबू नायडू को जमानत दी जानी चाहिए या नहीं। रोहतगी ने पीठ से कहा कि चुनाव से ठीक पहले ऐसे धमकी भरे बयान देने वालों को जमानत का लाभ या आजादी नहीं दी जा सकती।

वहीं, चंद्रबाबू नायडू की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्व पेश हुए। उन्होंने पीठ से कहा कि वह इस आवेदन पर जवाब दाखिल करेंगे। पीठ ने साल्वे से दो हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा। शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले में तीन सप्ताह बाद अगली सुनवाई की जाएगी।

उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर शीर्ष अदालत ने पिछले साल 28 नवंबर को नायडू से जवाब मांगा था। उच्च न्यायालय ने चंद्रबाबू नायडू की जमानत शर्तों में भी ढील दी है और उन्हें आठ दिसंबर तक सार्वजनिक रैलियों और सभाओं में भाग लेने की अनुमति दी है। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि उन पर सार्वजनिक रूप से बयान न देने या मामले के बारे में मीडिया से बात न करने सहित जमान की अन्य शर्तें लागू होंगी। (एजेन्सी)

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