नई दिल्ली । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी सरकार पर महंगाई रोकने में विफल रहने के विपक्ष के आरोप को मंगलवार को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व में देश ने जो रिकॉर्ड बनाया है वह ऐसा रिकॉर्ड है जिसे कोई तोड़ नहीं सकता। सीतारमण ने कहा कि वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में महंगाई दर 3.8 प्रतिशत थी जो 2004-14 के दौरान यूपीए के पूरे 10 साल के कार्यकाल में औसतन 8.1 प्रतिशत थी।
वित्त मंत्री ने ‘काग्रेस आई है महंगाई लाई है’ के पुराने नारे का उल्लेख करते हुए कहा कि 2008 में सरकार ने वैश्विक वत्तीय संकट से निपटन के लिए राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी लेकिन ऑक्सफोर्ड शिक्षित नेता को पता नहीं था कि उस पैकेज को कैसे और कब वापस लिया जाय। नतीजा यह हुआ कि राजकोषीय घाटा बढता गया, व्याज बढ गया है, निवेश प्रभावित हुआ और 2012 से 14 के बीच 28 में से 22 महीने खुदरा महंगाई नौ प्रतिशत से ऊपर रही।
सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड काल के संकट के दौरान अर्थव्यवस्था का प्रबंधन इस तरह से किया ताकि राजकोषीय घाटा और महंगाई नहीं बढे। यही कारण है कि कोविड के बावजूद महंगाई 5.1 प्रतिशत तक सीमित रही। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने महंगाई पर पेट्रोल और डीजल के दाम घटाए लेकिन कांग्रेस और वपिक्ष वाले राज्यों की सरकारों ने कुछ नहीं किया जिससे महंगाई का स्तर ऊंचा रहा जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेह था।
सीतारमण ने कहा कि सरकार ने महंगाई से जनता को बचाने के लिए भारत राशन योजना तथा मुफ्त राशन योजना जैसे कदम उठाए हैं। उन्होंने रिजर्व बैंक के एक पूर्व गवर्नर की किताब का हवाल देते हुए कहा कि संप्रग के समय रिजर्व बैंक पर व्याज घटाने और अर्थव्यवस्था की गुलाबी तस्वीर खींचने के लिए वित्त मंत्रालय से दवाब था। उन्होंने कहा कि यह था इनका आर्थिक प्रबंध, ये हमसे हमारे आर्थिक प्रबंधन पर सवाल उठाते हैं। एजेन्सी
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