गंगटोक । सिक्किम के मुख्यमंत्री Prem Singh Tamang (Golay) के नेतृत्व वाली एसकेएम पार्टी हिमालयी राज्य में लगातार दूसरी बार विधानसभा चुनाव जीतने के लिए पिछले पांच वर्षों में अपनी सरकार द्वारा किए गए कल्याणकारी कदमों पर भरोसा कर रही है। राज्य की 32 विधानसभा सीटों और एकमात्र लोकसभा सीट के लिए 19 अप्रैल को चुनाव होंगे।
गौरतलब है कि भाजपा के साथ गठबंधन टूटने के बाद एसकेएम अकेले विधानसभा चुनाव लड़ रही है। वहीं, भाजपा भी सभी 31 सीटों पर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रही है। 2013 में गठित एसकेएम ने 2014 के राज्य विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीती थीं। उसके बाद 2019 के विधानसभा चुनाव में उसने 17 सीटें जीत कर एसडीएफ से सत्ता छीन ली। इसके साथ ही चामलिंग की एसडीएफ के 25 वर्षों के शासन का अंत हो गया।
सत्ताधारी पार्टी SKM हर तिमाही में सभी घरों को मुफ्त एलपीजी सिलेंडर देने, आमा योजना के तहत परिवार की महिला मुखिया को 40,000 रुपये देने, एक अतिरिक्त बच्चे की परवरिश के लिए राज्य सरकारी सेवारत स्थानीय मूल निवासियों को अतिरिक्त वेतन वृद्धि, एक वर्ष के लिए शिशु देखभाल सहायता और 27,000 अस्थायी सरकारी कर्मचारियों के नियमितीकरण जैसे कदमों पर भरोसा कर रही है।
ऐसे में मुख्यमंत्री Golay की पुरानी सीट अपर बुर्तुक से पार्टी उम्मीदवार कला राई ने अपने विधानसभा क्षेत्र में एक रैली में कहा कि हमने 2019 में किए गए सभी वादे पूरे किए हैं। उन्होंने सिक्किम के लोगों से हिमालयी राज्य को विकसित और समृद्ध बनाने के लिए उनकी पार्टी को दूसरे कार्यकाल के लिए वोट देने का आग्रह किया।
दूसरी ओर, विपक्षी एसडीएफ और नवगठित सिटीजन एक्शन पार्टी सिक्किम भी एसकेएम सरकार पर यह कह कर हमला बोल रही है कि केंद्र के साथ अच्छे समीकरण के बावजूद वह आदिवासी, लिंबू और तमांग समुदायों को विधानसभा में सीट आरक्षण प्रदान करने में विफल रही है। एसडीएफ के एक नेता ने कहा, चूंकि मुख्यमंत्री स्वयं तमांग समुदाय से हैं, इसलिए उन्हें सिक्किम के आदिवासी समुदायों को सीट आरक्षण देने पर कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार को मनाने के लिए गंभीर प्रयास करने चाहिए थे।
इसके अलावा, विपक्ष संविधान के अनुच्छेद 371F को कमजोर करने पर मूकदर्शक बने रहने के लिए भी एसकेएम की आलोचना कर रहा है। 371 (एफ) सिक्किम के पुराने कानूनों की रक्षा करता है और 1974 में भारत के साथ विलय के बाद हिमालयी राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करता है।
उल्लेखनीय है कि आयकर छूट का लाभ उठाने के अधिकार के लिए स्थानीय मूल समुदायों के साथ-साथ पुराने निवासियों के वंशजों को शामिल करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश द्वारा सिक्किमी लोगों की परिभाषा के विस्तार ने सिक्किम में तूफान पैदा कर दिया था और सभी विपक्षी दलों ने फैसले का विरोध किया था और इसे वापस लेने की मांग की थी। हालांकि, मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा शीर्ष अदालत में दायर एक आवेदन के माध्यम से आदेश को संशोधित करके इसे शांत किया।
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