गंगटोक । उत्तर सिक्किम के पाकिम में अधिक ऊंचाई पर स्थित पांगलाखा वन्यजीव अभयारण्य में हाल ही में बाघों की गतिविधि रिकॉर्ड की गई है। बाघों की यह गतिविधि अभयारण्य में लगाए गए कैमरे में आई है, जो सिक्किम से पड़ोसी देश भूटान के बीच बाघों की आवाजाही दर्शाता है। ऐसे में सिक्किम वन व पर्यावरण विभाग बाघों के संरक्षण हेतु सक्रिय हो गया है।
उल्लेखनीय है कि 2002 में स्थापित पांगोलाखा वन्यजीव अभयारण्य 128 वर्ग किलोमीटर में फैला है और यह भारत और भूटान के बीच वन्यजीवों, विशेषकर बाघों के लिए एक महत्वपूर्ण गलियारे का कार्य करता है। भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से सिक्किम के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लगाए गए कैमरे ने 2018 और 2024 के बीच अभयारण्य में तीन बाघों की गतिविधि रिकॉर्ड की।
चालू वर्ष में, कैमरे की छवियों ने पांगोलाखा वन्यजीव अभयारण्य से भूटान के सामसे जिले तक बाघों की आवाजाही की पुष्टि की है। यह खोज दक्षिण एशिया वन्यजीव प्रवर्तन नेटवर्क के तहत बीते 11 से 13 जून को भूटान में आयोजित ‘वन्यजीव तस्करी की रोकथाम’ विषयक एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान प्रस्तुत की गई, जिसमें विभिन्न दक्षिण एशियाई देशों के अधिकारियों ने भाग लिया।
कार्यशाला के दौरान, सिक्किम के पूर्वी वन्यजीव डिवीजन के डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर सोनम नॉर्देन भूटिया और भूटानी वन अधिकारियों ने तुलनात्मक विश्लेषण के लिए कैमरे की छवियों को साझा करने पर सहमति व्यक्त की। इस सहयोग से एक उल्लेखनीय परिणाम सामने आया जिसमें एक बाघ के विशिष्ट धारीदार पैटर्न सिक्किम और भूटान के समान थे जिसकी भारतीय वन्यजीव संस्थान ने पुष्टि की है।
गौरतलब है कि सिक्किम के वन एवं पर्यावरण विभाग ने सिक्किम और पड़ोसी देश भूटान के बीच बाघों की आवाजाही को सुगम बनाकर वन्यजीव संरक्षण में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह उपलब्धि सिक्किम में ईको सिस्टम मैनेजमेंट और सीमा पार संरक्षण पहलों के महत्व को दर्शाती है। ऐसे में, अब सिक्किम वन व पर्यावरण विभाग का लक्ष्य अपने संरक्षण प्रयासों को बढ़ाना है, जिसमें निगरानी बढ़ाना, कानून का सक्चत अनुपालन और स्थानीय समुदायों का समर्थन प्राप्त करना शामिल हैं।
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