गंगटोक, 06 अक्टूबर । सिक्किम में आए प्रलयंकारी प्राकृतिक आपदा के बाद राहत व बचाव कार्यों का जायजा लेने पहुंचे मुख्यमंत्री Prem Singh Tamang (Golay) ने राज्य की पिछली एसडीएफ सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी गलतियों के कारण ही आज राज्य की जनता को भीषण संकट का सामना करना पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा, एसडीएफ सरकार के दौरान निर्मित तीस्ता चरण-3 जलविद्युत परियोजना के चुंगथांग बांध का निर्माण गुणवत्तापूर्ण नहीं होने के कारण ही राज्य के चुंगथांग, नागा, डिक्चू, सिंगताम और रंगपो के साथ पश्चिम बंगाल में भी बड़े पैमाने पर जानमाल का नुकसान हुआ है। ऐसे में सरकार इस बांध के निर्माण को लेकर एक जांच कमिटी का गठन करेगी।
जल प्रलय के तीन दिन बाद मुख्यमंत्री गोले ने आज एक बार फिर सिंगताम और रंगपो के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने राहत शिविरों में शरण लिए हुए बाढ़ प्रभावितों से मुलाकात कर उनकी स्थिति के बारे में जानकारी ली। बाद में पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि तीस्ता चरण-3 के बाद भी तीस्ता नदी पर कई बांध बनाये गये हैं। लेकिन उन बांधों को कोई नुकसान नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के खराब विकास मॉडल और लापरवाही के कारण ही आज सिक्किम को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में सरकार तीस्ता चरण-3 परियोजना के कमजोर बांध निर्माण के दोषियों को सजा देगी। उनके मुताबिक सरकार जल्द ही इसके लिए एक जांच कमिटी का गठन करेगी।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री गोले ने आगे बताया कि घटना के तुरंत बाद ही राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से बात कर आवश्यक सहायता मांगी थी और केंद्र ने भी सहायता का ठोस आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा, भारत सरकार सिक्किम के साथ खड़ी है। वहीं, आपदा से हुए नुकसान के बारे में उन्होंने कहा कि यह ठीक-ठीक बता पाना संभव नहीं है कि इस जल प्रलय से कितना नुकसान हुआ है। राज्य सरकार विशेषज्ञों की एक टीम नियुक्त करेगी जो सर्वेक्षण कर नुकसान का आकलन करेगी तथा आवश्यक मुआवजा देगी।
मुख्यमंत्री गोले ने बताया कि आज सुबह तक के आंकड़ों के मुताबिक अब तक 19 शव निकाले जा चुके हैं, इनमें 7 सैनिक हैं। गौरतलब है कि 3 अक्टूबर की रात जल प्रलय में बारदांग से सेना के 23 जवान लापता हो गये थे। मुख्यमंत्री ने बताया कि इनमें से एक को जिंदा बचा लिया गया जबकि 7 लोगों के शव बरामद कर लिये गये हैं और 15 जवान अब भी लापता हैं। मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि राज्य भर से कुल 103 लोग लापता हैं। उनके अनुसार, तीस्ता बाढ़ से कुल 22464 परिवार प्रभावित हुए हैं और 2500 से अधिक को बचाया गया है।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि राज्य के विभिन्न स्थानों पर स्थापित 26 राहत शिविरों में 3900 से अधिक लोग आश्रय लिये हुए हैं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने इस आपदा के दौरान सहयोग देने वाले संगठनों और व्यक्तियों के प्रति राज्य सरकार की ओर से आभार व्यक्त किया।
आज पत्रकारों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री गोले ने यह भी घोषणा की है कि राज्य सरकार आपदा में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को तत्काल राहत राशि के रूप में 4 लाख रुपए प्रदान करेगी। इसके अलावा केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा भी क्षति का आकलन कर मुआवजा दिया जाएगा। केंद्रीय मुआवजे के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक कमिटी गठित की है, जो जल्द ही सर्वेक्षण के लिए सिक्किम आएगी।
वहीं मुख्यमंत्री ने आपदा का फायदा उठाने वाले कारोबारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार इस पर सख्त कार्रवाई करेगी और कालाबाजारी करने वालों का लाइसेंस हमेशा के लिए रद्द कर दिया जायेगा। उन्होंने व्यापारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि खाद्य एवं अन्य आवश्यक सामग्री निर्धारित मूल्य पर ही बेची जाए। उन्होंने कहा, खाद्य एवं अन्य आवश्यक सामग्री लाने पर होने वाला अतिरिक्त खर्च सरकार वहन करेगी और माल परिवहन करने वाले ट्रकों का शुल्क भी माफ कर दिया गया है।
इसके अलावा मुख्यमंत्री गोले ने सिक्किम ऊर्जा लिमिटेड की ओर से उत्तर सिक्किम के लिए 25 करोड़ और गंगटोक, पाकिम और नामची जिलों के लिए 15-15 करोड़ रुपये की अलग मुआवजा राशि की भी घोषणा की है। गौरतलब है कि सिक्किम एनर्जी लिमिटेड में राज्य सरकार की 60.08 फीसदी हिस्सेदारी है।
वहीं सरकार की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया है कि तीस्ता-5 हाइड्रोपावर स्टेशन के नीचे तारखोला/पम्फोक तक के सभी पुल डूब गए हैं/बह गए हैं, जिससे इन क्षेत्रों में आवागमन और संचार गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है।
बाढ़ का पानी तीस्ता 5 पावर स्टेशन (510 मेगावाट) के बांध से ऊपर निकल गया। परियोजना स्थलों के साथ-साथ आवासीय कॉलोनी के कुछ हिस्सों को जोड़ने वाली सभी सड़कें गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गई हैं। वर्तमान में, पावर स्टेशन शटडाउन में है और बिजली का उत्पादन नहीं कर रहा है। एनएचपीसी ने अपनी सभी परियोजनाओं से समय पर जनशक्ति को हटा लिया था और यह सुनिश्चित किया था कि उन्हें सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जाए। हालांकि, तीस्ता 5 पावर स्टेशन से एक हताहत की सूचना है।
इसमें कहा गया है कि एनएचपीसी की निर्माणाधीन पनबिजली परियोजना तीस्ता 6 (500 मेगावाट) का चल रहा काम बाधित हो गया है। बाढ़ का पानी बिजलीघर और ट्रांसफार्मर की गुफा में घुस गया है। बैराज और पावर हाउस पर दाएं और बाएं किनारों को जोड़ने वाले पुल बह गए हैं। पश्चिम बंगाल राज्य के डाउनस्ट्रीम में स्थित टीएलडीपी-3 (160 मेगावाट) (तीस्ता लो डैम-3 हाइड्रोपावर प्लांट) और टीएलडीपी-4 (132 मेगावाट) बिजली स्टेशनों में कोई बड़ी क्षति नहीं देखी गई है। दोनों बिजली स्टेशन सुरक्षित हैं लेकिन बाढ़ के पानी के साथ भारी गाद आने के कारण इन्हें बंद रखा गया है। आने वाले दिनों में दोनों परियोजनाओं में बिजली उत्पादन शुरू करने के लिए एनएचपीसी लगातार प्रयासरत है। इसके अलावा, रंगित घाटी में कोई नुकसान नहीं हुआ है, जहां एनएचपीसी का रंगित 4 बिजली परियोजना (120 मेगावाट) निर्माणाधीन है, और रंगित पावर स्टेशन (60 मेगावाट) चालू है।
ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि जल स्तर कम होने के बाद सभी परियोजना स्थलों पर क्षति की मात्रा का विस्तार से आकलन किया जाएगा। एनएचपीसी प्रभावित क्षेत्रों में भोजन, दवा, बिजली आदि जैसी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बनाए रखने के लिए राज्य सरकार, आपदा प्रबंधन अधिकारियों और जिला प्रशासन की मदद से हर संभव प्रयास कर रही है।
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