दार्जिलिंग । सिक्किम-दार्जिलिंग एकीकरण ही बंगाल से मुक्त होने का सबसे सरल उपाय है। उक्त बातें विक्रम चामलिंग ने व्यक्त की है। स्थानीय गोरखा दुःख निवारक सम्मेलन भवन में सिक्किम दार्जिलिंग एकीकरण मंच की बैठक रविवार को आयोजित की गई। बैठक में पहाड़ के विभिन्न इलाकों से एकीकरण मंच के कार्यकर्ता व समर्थक मौजूद रहे।
बैठक के बाद सिक्किम दार्जिलिंग एकीकरण मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष विक्रम चामलिंग ने दार्जिलिंग प्रेस गिल्ड में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि सिक्किम दार्जिलिंग एकीकरण मंच बंगाल से मुक्ति का सबसे आसान रास्ता है। उन्होंने पहले कहा कि सिक्किम दार्जिलिंग एकीकरण मंच मिट्टी से जुड़ा संगठन है। सिक्किम दार्जिलिंग एकीकरण मंच का उद्देश्य दार्जिलिंग की मिट्टी और भूमि को उसके मूल सिक्किम के साथ एकजुट करना है।
श्री चामलिंग ने आगे कहा कि अलग गोरखालैंड राज्य के गठन को लेकर दार्जिलिंग की पहाड़ियों में कई वर्षों से आंदोलन चल रहा है, लेकिन गोरखालैंड हमारे लिए गौण मामला है। बंगाल से छुटकारा पाने का सबसे आसान तरीका सिक्किम और दार्जिलिंग का एकीकरण है। सिक्किम दार्जिलिंग एकीकरण मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष विक्रम चामलिंग ने कहा कि सभी पहाड़वासियों की एक ही इच्छा है कि बंगाल से मुक्ति मिले, लेकिन सिक्किम दार्जिलिंग एकीकरण से ही हम बंगाल से मुक्त हो सकते हैं।
सिक्किम दार्जिलिंग एकीकरण मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष विक्रम चामलिंग ने आगे कहा कि लोकसभा चुनाव का परिणाम 4 जून को सार्वजनिक होगा और सिक्किम विधानसभा चुनाव का परिणाम भी सार्वजनिक होगा। चामलिंग ने बताया कि नई सरकार के गठन के बाद सिक्किम दार्जिलिंग एकीकरण मंच की प्रतिनिधि टीम सिक्किम की नई सरकार और विपक्षी नेताओं से मुलाकात करेगी और सिक्किम दार्जिलिंग एकीकरण के मुद्दे पर एक ज्ञापन सौंपेगी।
उन्होंने आगे कहा कि सिक्किम दार्जिलिंग के मुद्दे पर सिक्किम दार्जिलिंग एकीकरण मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष विक्रम चामलिंग ने दावा किया है कि सिक्किम की 30 फीसदी जनता ने अपना समर्थन जताया है। उन्होंने आगे कहा कि अगर सिक्किम और दार्जिलिंग एक हो जाएं तो सिक्किम एक संपूर्ण और महान सिक्किम होगा। चामलिंग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सिक्किम के लोग भी इस बात को समझ चुके हैं।
वहीं, सिक्किम दार्जिलिंग एकीकरण मंच के मंगपू शाखा अध्यक्ष सौरभ लोहार ने कहा कि सिक्किम दार्जिलिंग इंटीग्रेशन एक संवैधानिक मामला है। उन्होंने यह भी दोहराया कि सिक्किम-दार्जिलिंग एकीकरण एक संवैधानिक मुद्दा है और वह इसके लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। लोहार ने कहा कि दार्जिलिंग पहाड़ियों को बंगाल से मुक्त कराने के लिए सिक्किम-दार्जिलिंग एकीकरण ही एकमात्र विकल्प है।
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