गंगटोक । सिलीगुड़ी में रविवार को एक समन्वय बैठक आयोजित की गई, जिसमें सिक्किम, दार्जिलिंग, कालिम्पोंग और डुआर्स के वंचित समुदायों के लिए जनजातीय दर्जा की मांग पर ध्यान केंद्रित किया गया। बैठक में इन क्षेत्रों के नेताओं और प्रतिनिधियों को एकत्रित किया गया तथा सिक्किम के 12 समुदायों और दार्जिलिंग के 11 समुदायों को जनजातीय दर्जा दिलाने के लिए आगे की रणनीति पर चर्चा की गई।
सिक्किम के मुख्यमंत्री Prem Singh Tamang (Golay) ने कहा कि यह बैठक राजनीतिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक थी और इसका उद्देश्य लंबे समय से लंबित मांगों को संबोधित करना था। यह एक संवैधानिक मुद्दा है। उन्होंने कहा कि आज हमने इन्फोग्राफिक्स और सर्वेक्षण रिपोर्ट सहित विभिन्न रिपोर्टों पर चर्चा की और एक संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) बनाने का निर्णय लिया। सीएम गोले ने कहा कि समिति में सिक्किम, दार्जिलिंग, कालिम्पोंग और डुआर्स से पांच-पांच सदस्य होंगे। नवगठित सिक्किम और दार्जिलिंग के लिए जनजातीय स्थिति हेतु टीम भारत के महापंजीयक कार्यालय को पहले प्रस्तुत की गई रिपोर्टों को संशोधित करने और सुधारने पर ध्यान केंद्रित करेगी।
CM गोले ने संवैधानिक मान्यता के लिए Sikkim और Darjeeling के बीच पिछले सहयोगों पर बोलते हुए कहा कि इससे पहले दोनों राज्य अलग-अलग काम करते थे, लेकिन अब हम मिलकर आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि जब नेपाली भाषा को संवैधानिक अधिकार प्रदान किया गया था और जब Limboo-Tamang समुदायों को जनजातीय दर्जा प्राप्त हुआ था, तब भी उन्होंने सहयोग किया। जेएसी के लिए सिक्किम के प्रतिनिधियों में डॉ एसके राई, मणि कुमार प्रधान, खिलवर्ण गुरुंग और नारायण खतिवड़ा शामिल हैं, जबकि दार्जिलिंग पक्ष का प्रतिनिधित्व रमेश राई, दीपक प्रधान, बाल बहादुर शर्मा, डीबी भुजेल और डॉ प्रवीण गिरी करेंगे। डॉ एसके राई समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य करेंगे।
बैठक में इसमें सिक्किम के 12 समुदाय शामिल हैं: थामी, बाहुन, चेत्री, संन्यासी (जोगी), नेवार, किरात खंबू रार्इ, किरात दीवान, सुनुवार, गुरुंग, मंगर, भुजेल और माझी: साथ ही दार्जिलिंग के समुदाय जैसे कि भुजेल, गुरुंग, मंगर, नेवार, जोगी, खस, राई, सुनुवार, थामी, यखना (दीवान) और दीमा। दोपहर 1 बजे शुरू हुई बैठक में प्रमुख राजनीतिक हस्तियों और अधिकारियों ने इस लंबे समय से लंबित मुद्दे को हल करने का लक्ष्य रखा।
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