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पिछली सरकार ने लोकहित में नहीं किया काम : मुख्‍यमंत्री

कहा-2 से 3 रुपये के शेयर 8.53 व 10 रुपये में खरीदे गए

गंगटोक, 16 अक्टूबर । बादल फटने के बाद ल्‍होनक झील से पानी आने की बात को स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री Prem Singh Tamang (Golay) ने कहा कि अगर पिछली सरकार ने लोगों के हित में काम किया होता तो इतना नुकसान नहीं होता।

मुख्यमंत्री ने खुलासा किया कि केंद्रीय जल आयोग द्वारा कंक्रीट बांध के निर्माण को मंजूरी देने के बावजूद, तीस्ता एनर्जी कंपनी ने इस बांध को रॉकफिल बांध के रूप में बनाया और सरकार तब तक चुप रही। मुख्यमंत्री ने कहा कि चूंकि बांध क्षतिग्रस्त होने के बाद चुंगथांग बांध ल्‍होनक झील से आने वाले पानी को अ
वशोषित नहीं कर सका, इसलिए बांध का पानी तीस्ता के उग्र रूप में बदल गया और इससे इतना नुकसान हुआ।
उन्‍होंने कहा कि लेकिन कई लोग सच को नजरअंदाज कर बयान दे रहे हैं कि अगर मौजूदा सरकार ने चेतावनी प्रणाली लागू की होती तो ऐसा नहीं होता। यह कहते हुए कि वर्तमान सरकार इस मामले पर चुप नहीं है, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के साथ विभिन्न हितधारक संस्थानों के 40 लोगों की एक प्रतिनिधि टीम 9 सितंबर 2023 को ल्‍होनक झील पहुंची और वहां की स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए कार्रवाई की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय नर बहादुर भंडारी और अन्य लोगों ने यहां बांध निर्माण के खिलाफ आवाज उठाई थी और उच्च न्यायालय में मामला दायर किया था कि Teesta Urja Ltd. (अब SIKKIM URJA LIMITED) द्वारा वहां बांध नहीं बनाया जाना चाहिए। इसके साथ ही तीस्ता के प्रभावित नागरिकों के एक वर्ष से अधिक समय तक भूख हड़ताल भी की। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री नर बहादुर भंडारी की भावनाओं को नमन करते हुए कहा, चाहे मैं मर भी जाऊं, लेकिन मेरे सिक्किम को जीवित रहने दो।

मुख्‍यमंत्री गोले ने कहा कि अधिकांश जलविद्युत परियोजनाएं 2004 से 2009 के बीच की अवधि के दौरान शुरू की गई थीं। उन्होंने उल्लेख किया कि पूर्व मुख्यमंत्री पवन चामलिंग के ही पास बिजली विभाग भी था। 22 फरवरी 2005 को, मुख्यमंत्री ने राज्य मंत्रिमंडल को सूचित किया कि तीस्टा चरण 3 की परियोजना एपिजेनको को देने का निर्णय लिया गया है। लेकिन सिर्फ चार दिन बाद 26 फरवरी 2005 को, यह परियोजना कैबिनेट की मंजूरी के बिना एथेना प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड (एपीपीएल) को दे दी गई, जो 2004 में एथेना एडवाइजर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड के रूप में पंजीकृत कंपनी थी।

मुख्यमंत्री ने खुलासा किया कि 54 दिन पहले ही तत्कालीन सरकार ने कंपनी के नाम से ‘एडवाइजर’ शब्द हटाकर 1200 मेगावाट की मेगा परियोजना सौंपी थी। उन्होंने कहा कि 18 जुलाई 2005 को कार्यान्वयन समझौता हुआ और पिछली सरकार ने कंपनी को 35 साल का कार्यकाल दिया, लेकिन शेयरधारकों को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ।

मुख्यमंत्री गोले ने कहा कि इस तरह 35 साल तक एपीपीएल को इसे दिए जाने के बाद 8 लोगों ने मिलकर तीस्ता एनर्जी लिमिटेड बनाई। उन्होंने दावा किया कि पिछली सरकार ने एपीपीएल की तकनीकी और वित्तीय क्षमताओं की कभी जांच नहीं की थी। 2011 में आए भूकंप के बाद यह परियोजना गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) बनने जा रही थी और मुख्यमंत्री ने 10 दिसंबर 2012 को शेयरधारकों के समझौते की जानकारी दी थी। यह देखते हुए कि यह 18 सितंबर, 2011 से पूरी तरह से चालू नहीं हुआ है, उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने 26 प्रतिशत इक्विटी के लिए ऋण लेकर इस परियोजना में पैसा लगाया था।

मुख्‍यमंत्री ने कहा कि इक्विटी राशि 529 करोड़ 49 लाख होती, लेकिन पिछली सरकार ने मृत कंपनी में पैसा डालने के लिए 600 करोड़ का कर्ज लिया। इसके साथ ही एनपीए होने वाली कंपनी की हिस्सेदारी बढ़ाकर 51 फीसदी कर दी गई बाद में इसे और बढ़ाकर 60.08 फीसदी कर दिया गया, जिसके लिए 593 करोड़ 91 लाख की जरूरत थी, जबकि पिछली सरकार ने 956 करोड़ 56 लाख का लोन लेकर कंपनी में डाला था। 26 फीसदी से 60.08 फीसदी हिस्सेदारी तक पहुंचने तक पिछली सरकार ने 27.47 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था, जो फिलहाल 2 हजार 898 करोड़ रुपये सरकार को चुकाना पड़ा है।

मुख्यमंत्री ने खुलासा किया कि पिछली सरकार ने 10 रुपये, 8.53 रुपये प्रति इक्विटी शेयर खरीदे थे जबकि उस समय शेयर की कीमत 2 से 3 रुपये थी, इस प्रकार इक्विटी शेयर खरीदने में पिछली सरकार द्वारा 1879 करोड़ रुपये का निवेश किया गया था। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि अगर मौजूदा कीमत पर वे शेयर 900 करोड़ के आसपास भी आते तो खरीद मूल्य का आधा हिस्सा बच जाता।

उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार द्वारा लगाए गए बोझ को कम करने के लिए एसकेएम सरकार ने पहली बार सभी कर्मचारियों के वेतन में कटौती की, जिससे जिस अधिकारी का वेतन 2 करोड़ 1 लाख 25 हजार 20 रुपये था, उसका वेतन 89 लाख 68 हजार 800 रुपये कर दिया गया। जिसके माध्यम से वर्तमान सरकार ने वार्षिक वेतन व्यय में 3 करोड़ 50 लाख की कमी की है। इसके साथ ही महंगी गाड़ियों की नीलामी की गई और सस्ती गाड़ियों को चलन में लाया गया। हालांकि, मुख्यमंत्री ने बताया कि इसके बावजूद यह कर्ज तीस्ता एनर्जी से मिलने वाले टैक्स से भी ज्यादा है।

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