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Sikkim में गरमाई राजनीति, Bhaichung Bhutia हो सकते हैं एसडीएफ में शामिल

गंगटोक, 04 सितम्बर । हिमालयी राज्य सिक्किम में विधानसभा के साथ-साथ लोकसभा चुनाव होने में अभी आठ महीने शेष हैं, लेकिन अभी से ही सूबे में राजनीतिक तापमान धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। ऐसे में राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार आने वाले दिनों में कई नेताओं द्वारा पार्टी बदलाव देखने को मिल सकता है। इसी कड़ी में भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान भाइचुंग भूटिया के भी राज्य की प्रमुख विपक्षी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट में शामिल होने की संभावना है। इसी बीच, 2019 के पिछले चुनाव में श्यारी निर्वाचन क्षेत्र से एसडीएफ उम्मीदवार रहे कर्मा वांग्दी भूटिया ने आज पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।

सूत्रों के अनुसार, भाइचुंग भूटिया एसडीएफ प्रमुख पवन चामलिंग के जन्मदिन 22 सितंबर को उनकी पार्टी का दामन थाम सकते हैं। हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि भाइचुंग अपनी हाम्रो सिक्किम पार्टी का एसडीएफ में विलय करेंगे या नहीं। सूत्रों ने बताया कि एसडीएफ अध्यक्ष के जन्मदिन समारोह के अवसर पर पार्टी ने एक मेगा कार्यक्रम की योजना बनाई है। इसमें कुछ विवादों के कारण पार्टी का साथ छोड़ चुके एक प्रभावशाली युवा नेता भी फिर से पार्टी में शामिल होंगे। इसके साथ ही, कई अन्य राजनीतिक नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के भी इस दिन एसडीएफ में शामिल होने की उम्मीद है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का अनुमान है कि 2019 के चुनाव की तरह ही इस बार भी मुख्य मुकाबला एसकेएम और एसडीएफ के बीच ही होने की उम्मीद है। हालांकि इस बार भाजपा और सिटीजन एक्शन पार्टी भी मैदान में है, लेकिन एसडीएफ और एसकेएम की तरह उनकी पकड़ उतनी मजबूत नहीं है। पर्यवेक्षकों का यह भी मानना है कि आने वाला चुनाव एसडीएफ प्रमुख पवन चामलिंग के लिए भी महत्वपूर्ण होने वाला है, क्योंकि वह अपनी आखिरी लड़ाई लड़ने वाले हैं। वहीं, सत्तारूढ़ एसकेएम तथा इसके प्रमुख एवं मौजूदा मुख्यमंत्री पीएस तमांग सत्ता बरकरार रखने हेतु कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

बहरहाल, सिक्किम के राजनीतिक इतिहास पर नजर डाला जाए तो एक बार सत्ता से बेदखल होने वाली पार्टी ने फिर कभी सत्ता में वापसी नहीं की है। चाहे वह सिक्किम नेशनल कांग्रेस के स्वर्गीय एलडी काजी हों, सिक्किम संग्राम परिषद के स्वर्गीय नर बहादुर भंडारी हों। अब यह देखने योग्य होगा कि क्या श्री चामलिंग इस मिथक को तोड़ पाते हैं या नहीं। ऐसे में इस साल के चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह इतिहास दोहराया जाएगा या नया इतिहास लिखा जाएगा।

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