गंगटोक : इस वर्ष की पूर्वोत्तर क्षेत्रीय राज्यों की बैठक के हिस्से के रूप में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आज असम की राजधानी गुवाहाटी में आयोजित कार्यक्रम में सिक्किम के सोरेंग जिले में जैविक मत्स्य पालन क्लस्टर के शुभारंभ की घोषणा की। इस अवसर पर राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल और जॉर्ज कुरियन की उपस्थित थे।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत यह अभूतपूर्व पहल भारत में अपनी तरह का पहला है। यह पूर्वोत्तर क्षेत्र में सतत और पर्यावरण अनुकूल मत्स्य पालन को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण माइल स्टोन है जो मत्स्य पालन क्षेत्र में सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। जैविक मत्स्य पालन क्लस्टर सिक्किम की जैविक खेती में मजबूती से जुड़ता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जैविक मत्स्य पालन क्लस्टर हानिकारक रसायनों, एंटीबायोटिक दवाओं और कीटनाशकों के उपयोग से बचते हुए पारिस्थितिक रूप से स्वस्थ मछली पालन प्रणाली पर ध्यान केंद्रित करता है। यह पर्यावरण का न्यूनतम प्रदूषण भी सुनिश्चित करने के साथ ही जलीय इकोसिस्टम को नुकसान से बचाता है, जो टिकाऊ मछली उत्पादन प्रणालियों में योगदान देता है। जैविक उत्पाद आम तौर पर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में प्रमुखता से आकर्षित करते हैं। एक जैविक जलीय कृषि क्लस्टर की स्थापना करके, सिक्किम इस बढ़ते बाजार और जैविक मछली एवं मछली उत्पादों के निर्यात का लाभ उठा सकता है।
सिक्किम में अमूर कार्प के साथ-साथ अन्य कार्प पर विशेष तौर पर केंद्रित एक जैविक मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्लस्टर कई आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक लाभ प्रदान करेगा। राज्य के पहले से ही सफल जैविक कृषि के ढांचे में जैविक मछली पालन को जोड़कर, सिक्किम खुद को टिकाऊ जलीय कृषि में एक अग्रणी के रूप में स्थापित कर सकता है। यह न केवल राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ा सकता है बल्कि टिकाऊ, पर्यावरण के अनुकूल खाद्य उत्पादन की ओर वैश्विक बदलाव में भी योगदान दे सकता है।
सिक्किम में मत्स्य पालन और जलीय कृषि जैविक क्लस्टर विकसित करने में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) एक प्रमुख हितधारक है। नाबार्ड आवश्यक मत्स्य पालन इंफ्रास्ट्रक्चर और क्षमता निर्माण के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करने के अलावा, राज्य में मछुआरों की सहकारी समितियों को शामिल करके और मत्स्य पालन आधारित किसान उत्पादक संगठनों के गठन के माध्यम से जैविक क्लस्टर के विकास में भी सहायता करेगा। इसके अलावा, यह पहल जलीय कृषि से संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रौद्योगिकी में निजी निवेश को भी प्रोत्साहित करेगी, सिक्किम के ठंडे पानी के मत्स्य पालन की ब्रांडिंग करेगी, पर्यटन को आकर्षित करेगी और साथ ही मूल्य श्रृंखला को मजबूत करेगी।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना, भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत और जिम्मेदार विकास के माध्यम से नीली क्रांति लाने की एक योजना है, जिसे मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यान्वित किया गया है। इसमें अन्य बातों के साथ -साथ मत्स्य पालन क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने, व्यापक तौर पर अर्थव्यवस्थाओं को सुविधाजनक बनाने, उच्च आय सृजित करने, संगठित तरीके से मत्स्य पालन और जलीय कृषि के विकास और विस्तार में तेजी लाने के लिए क्लस्टर-आधारित पहल को लागू करने का प्रावधान है।
मत्स्य विभाग ने विकास के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु के रूप में पूर्वोत्तर क्षेत्र को प्राथमिकता दी है। इसकी पहलों में आधुनिक जलीय कृषि पार्क, हैचरी और मछली प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करना शामिल है, जबकि बायोफ्लोक सिस्टम और रीसर्क्युलेटरी जलीय कृषि प्रणाली जैसी नवीन तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इन प्रयासों का उद्देश्य उत्पादकता में वृद्धि करना, मूल्य श्रृंखलाओं को मजबूत करना और मछली उत्पादक किसानों के लिए बाजार पहुंच को बढ़ावा देना है। इस गति को और आगे बढ़ाने के लिए, आज 50 करोड़ रुपये के व्यय के साथ 50 प्रभावशाली परियोजनाओं का उद्घाटन/शिलान्यास किया गया,जिसमें 38.63 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा शामिल है। इसका उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह से 4,530 रोजगार के अवसर पैदा करना है।
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