गंगटोक, 09 अक्टूबर । सिक्किम के वन एवं पर्यावरण मंत्री कर्मा लोडे भूटिया ने बीते 3 अक्टूबर को दक्षिण ल्होनक लेक के आउटबर्स्ट से तीस्ता ऊर्जा स्टेज 3 बांध के विनाश के बाद चुंगथांग में बांध नहीं बनाने के विचार का समर्थन किया है। इसके साथ ही चुंगथांग के स्थानीय निवासियों ने भी वहां फिर से बांध बनाए जाने का तीव्र विरोध करने का निर्णय लिया है।
वन मंत्री ने कहा, मैं हमेशा बांधों के विचारों का विरोधी रहा हूं, क्योंकि पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन सबसे महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, उत्तर सिक्किम एक भूस्खलन-प्रवण क्षेत्र है, इसलिए मुझे लगता है कि बांध निर्माण महत्वपूर्ण नहीं है। वहीं, चुंगथांग के अधिकांश नागरिकों ने भी मंत्री से सहमति जताते हुए कहा कि अगर यहां फिर से बांध बनाया जाता है, तो उससे पहले हमारी सारी जमीनें ले लें और हमें मुआवजा दें। लेकिन हम अपनी बर्बादी की कीमत पर बांध नहीं बनने देंगे। अगर वे बांध बनाना चाहते हैं तो हम हथियार लेकर इसका विरोध करेंगे।
विनाश में चुंगथांग के तीस्ता ऊर्जा स्टेज-3 बांध की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर, मंत्री ने कहा कि यहां इस बांध के कारण पानी का प्राकृतिक प्रवाह बाधित है। मुझे लगता है कि यह बांध सही तरीके से नहीं बना है। जब बांध बनता है तो लोग इसके जलमग्न क्षेत्र के बारे में कभी नहीं सोचते। ऐसे में, चाहे आप इसे बादल फटना कहें या हिमनद विस्फोट, यह रुकावट के कारण ही है। जल के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यहां बनाया गया बांध आवश्यक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं था।
इधर, नाम न छापने की शर्त पर एक स्थानीय नागरिक ने कहा कि चुंगथांग इस आपदा में सबसे अधिक प्रभावित जगह है। हमें लगता है कि हमारे लोगों को न्याय मिलना चाहिए। आपदा के बाद हो सकता है कि यहां की कुछ इमारतें बची हों, लेकिन वे अच्छी स्थिति में नहीं हैं और यहां की जमीन का आधार पहले ही नष्ट हो चुका है। यह कभी भी ढह सकता है। उन्होंने आगे कहा, चुंगथांग अब पूरी तरह खत्म हो चुका है और इसका दोष बांध को जाता है। इसलिए हम बांध नहीं चाहते हैं। यदि इसके बावजूद वे बांध का पुनर्निर्माण करना चाहते हैं, तो हमारे घरों और हमारी जमीनों को खरीद लें, हमें मुआवजा दें और फिर जो भी आप बनाना चाहें बना लें।
उन्होंने आगे कहा कि जंगु, लाचेन और लाचुंग के लोगों ने बांध का विरोध किया। लेकिन चुंगथांग के भोले-भाले लोगों ने बांध के लिए अपनी जमीनें दे दीं। लेकिन अब यदि यहां फिर से बांध बनाया जाता है तो हम हथियार लेकर उसका विरोध करेंगे। फिर जो होगा उसकी जिम्मेदारी हमारी नहीं, उन्हीं लोगों की होगी। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से चुंगथांग के पुनर्निर्माण का आग्रह किया।
इस आपदा में सात घर खोने वाली ताक्षी लाचुंग्पा नामक एक अन्य चुंगथांग निवासी ने कहा कि चुंगथांग में बांध नहीं होना चाहिए। अगर विनाश से पहले बांध को सही समय पर खोल दिया जाता तो यह आपदा नहीं होती। यह बात शत-प्रतिशत सच है कि बांध की वजह से तबाही हुई। चुंगथांग में मेरी सात संपत्तियां थीं। अब गांव के सभी लोग फिर बांध बनाए जाने का विरोध कर रहे हैं। यदि वे फिर भी बांध बनाना चाहते हैं तो हमें मुआवजा दें और हमें सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करें। यह हमारी अपील है।
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