दार्जिलिंग । हमने सोचा था कि मुख्यमंत्री चाय श्रमिकों के बारे में कुछ कहेंगी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। वह हमारी मुख्यमंत्री नहीं बल्कि बंगाल की मुख्यमंत्री हैं। यह बात दार्जिलिंग विधानसभा क्षेत्र के विधायक नीरज जिम्बा ने कही।
ज्ञात हो कि हिल्स के चाय श्रमिक 20 फीसदी बोनस की मांग कर रहे हैं। इस मांग को लेकर उनके आंदोलन में हाल के दिनों में रैलियां, धरना, गेट मीटिंग और एक दिवसीय बंद के साथ-साथ आज की विशाल रैली भी शामिल है। पिछले दिनों चाय श्रमिकों ने मिरिक में विशाल मार्च निकाला। आज भी दार्जिलिंग शहर में चाय श्रमिकों ने 20 प्रतिशत पूजा बोनस की मांग को लेकर विशाल रैली निकाली। चाय श्रमिकों के इस आंदोलन को विभिन्न दलों, समाजों, संघों और राजनीतिक दलों के लोगों ने समर्थन दिया है।
मजदूरों की इस रैली में शामिल होने आये विधायक नीरज जिम्बा ने कहा कि पूजा बोनस को लेकर सरकार ने जो एडवाइजरी जारी की है, उसे समझना जरूरी है। यह कोई कानून नहीं है और इसका पालन करने की कोई बाध्यता नहीं है। 20 फीसदी पूजा बोनस के मुद्दे पर चल रही है चर्चा पर उन्होंने कहा कि जब घी सीधी उंगली से नहीं निकलता तो उंगली टेढ़ी करनी पड़ती है।
उन्होंने कहा कि मालिक हमेशा पूजा या दशहरा से पहले श्रमिकों को परेशान करते हैं। उन्होंने आगे कहा, दार्जिलिंग चाय का अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक विशेष स्थान और महत्व है। श्रमिक जब 20 प्रतिशत पूजा बोनस मांग रहे हैं तो वे तरह-तरह की बातें कर रहे हैं, लेकिन हमें इस बारे में सोचना चाहिए कि चाय की पहली फसल के दौरान क्या किया जाना चाहिए, हालांकि इसका खुलासा अभी नहीं किया जाना चाहिए।
राज्य की मुख्यमंत्री की हालिया उत्तर बंगाल यात्रा के बारे में विधायक जिम्बा ने कहा, हमने सोचा था कि वह (सीएम बनर्जी) चाय श्रमिकों की मांग के बारे में बात करेंगी, लेकिन वह नहीं बोलीं। वह बंगाल की मुख्यमंत्री हैं, हमारी नहीं, गोरखाओं की नहीं। जब हमें चोट लगती है तो उन्हें कोई तकलीफ नहीं होती। विधायक Neeraj Zimba ने चेतावनी दी कि अगर चाय श्रमिक चाय की पत्तियां तोड़ना जानते हैं, तो वे चाय के डंठल भी उखाड़ सकते हैं। चाय का पौधा मालिक का होता है लेकिन ज़मीन हमेशा हमारी होती है।
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