गंगटोक, 07 अक्टूबर । राज्य के मुख्यमंत्री Prem Singh Tamang (Golay) ने आज मंगन जिले के नागा, संगम और चांडे के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया। इस दौरान मुख्यमंत्री गोले ने नागा के 34 बाढ़ प्रभावित परिवारों को मुख्यमंत्री राहत कोष से एक-एक लाख रुपये देने की घोषणा की है और अपनी ओर से उन्होंने प्रभावित परिवारों से मुलाकात कर सहायता भी प्रदान की है।
नागा परिसर में लाचुंग-लाचेन, चुंगथांग क्षेत्र, जो वहां से कटा हुआ है, को जोड़ने के लिए एक वैकल्पिक सड़क के निर्माण पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री गोले ने क्षेत्र के भूमि मालिकों से एक नई सड़क के लिए भी बात की है। मुख्यमंत्री गोले ने बताया कि वैकल्पिक मार्ग का सर्वे हो चुका है और कल से काम में तेजी लाकर एक महीने के अंदर वैकल्पिक मार्ग बनाने का लक्ष्य है।
वहीं, मुख्यमंत्री गोले ने उस क्षेत्र का निरीक्षण किया, जहां नागा के बाद स्थित जंगु को जोड़ने वाला तीस्ता नदी का पुल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। पुल के पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद, राज्य सरकार ने अलग-थलग जंगू क्षेत्र को जोड़ने के लिए 55 मीटर लंबा बेली ब्रिज बनाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री गोले ने तत्काल संबंधित अधिकारियों को इस दिशा में कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने आपदा प्रभाव को कम करने में सभी से सहयोग और एकजुट होकर काम करने का आग्रह किया। उन्होंने ग्रेफ, बीआरओ के प्रतिनिधियों और संबंधित विभागीय अधिकारियों के साथ टूंग नागा जीपीयू के जिला एवं वार्ड सदस्यों के साथ भी एक बैठक की। इसमें सुचारू परिवहन हेतु तत्काल एक मार्ग खोलने का प्रस्ताव रखा गया। ऐसे में उन्होंने जनता से सहयोग करने का आग्रह करते हुए कल तक एक संयुक्त सर्वेक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। वहीं, उन्होंने टूंग वार्ड के 17 और रिल वार्ड के 15 क्षतिग्रस्त घरों के लोगों किसी सुरक्षित जगह स्थानांतरित करने के मामले पर भी बात की और आमलोगों की सहमति से एक माह के अंदर स्थानांतरण प्रक्रिया शुरू होने की बात कही। इसके अतिरिक्त, उन्होंने संचार मुद्दे के पूरी तरह आकलन हेतु एक तकनीकी टीम के गठन की आवश्यकता भी बताई।
इसके बाद मुख्यमंत्री चांदे स्थित राहत शिविर पहुंचे और वहां बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की तथा उन्हें इस संकट से सामान्य जीवन में वापस लाने के लिए हर स्तर से सहायता प्रदान करने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री गोले ने कहा कि उन्होंने आपदा के दौरान राजनीति नहीं की, बल्कि सच्चाई को सामने रखा और स्पष्ट किया कि अगर पूर्व सरकार के कार्यकाल में बांध निर्माण का कार्य किया गया होता तो इतनी बड़ी आपदा नहीं आती। चुंगथांग बांध को तोड़ने के लिए लोनाक झील से जो पानी आया, चुंगथांग से बांध टूटने के बाद वह पानी और तेजी से नीचे की ओर गया, लेकिन निचले बांध नहीं टूटे। चूंकि झील के पानी से ही चुंगथांग बांध टूट गया इससे साफ है कि इसका निर्माण गुणवत्ता के साथ नहीं किया गया था। उन्होंने बताया कि तिस्ता इनर्जी और वर्तमान सिक्किम इनर्जी लिमिटेड के तहत परियोजना के निर्माण के दौरान तीन हजार करोड़ रुपये का ऋण दिया गया था जिसका भुगतान 2045 तक किया जाना था। अब यहां की जो हालत है वह सोच से बाहर है।
जिन पीड़ितों के घर बाढ़ के प्रभाव से खतरे में हैं उन्होंने भी आज मुख्यमंत्री गोले से मुलाकात की। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा उनके सामान्य जीवन को वापस लाने के वादे से संतुष्टि प्रकट की। उन्होंने कहा कि वे आभारी हैं कि ऐसे संकट में राज्य सरकार उनके साथ है।
बता दें कि चार दिन पहले से ही मुख्यमंत्री गोले लगातार बाढ़ प्रभावित इलाकों का मौके पर जाकर निरीक्षण कर रहे हैं, स्थिति की जानकारी ले रहे हैं और तत्काल राहत के लिए उचित कदम उठा रहे हैं। कल भी उन्होंने सिंगताम और रंगपो में बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया और पीड़ितों से मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि इस आपदा के दौरान राज्य सरकार उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। मुख्यमंत्री का आज मंगन और संकलन के बाद डिक्चू जाने का कार्यक्रम था, लेकिन दोनों स्थानों पर शाम हो जाने के कारण डिक्चू का निरीक्षण दौरा स्थगित कर दिया गया। संभवत: वे कल डिक्चू का स्थलगत निरीक्षण करेंगे।
दौरे के बाद राजधानी लौटते समय सीएम ने रांगांग पुल पर स्थानीय स्वयंसेवकों और सेना के जवानों से बातचीत की और रांगांग के नीचे एक वैकल्पिक पुल द्वारा जोंगू तक भेजी जा रही राहत सामग्री का जायजा लिया। यहां उन्होंने स्वयंसेवकों और सेना के जवानों के प्रयासों की सराहना करते हुए उनसे इस महत्वपूर्ण समय में अपनी नेक सेवा जारी रखने का आग्रह किया।
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