गंगटोक, 30 अक्टूबर। सिक्किम में बीते 3 और 4 अक्टूबर की दरम्यानी रात आई भयावह आपदा के बाद आज पूर्व राष्ट्रीय फुटबॉल कप्तान भाईचुंग भूटिया ने मुख्यमंत्री Prem Singh Tamang (Golay) की तीखी आलोचना करते हुए उन्हें इस आपदा के लिए दोषी करार दिया है। भूटिया ने आरोप लगाया कि विभिन्न वैज्ञानिकों और संगठनों की चेतावनियों के बावजूद राज्य सरकार ने ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट के बढ़ते खतरे को नजरअंदाज कर दिया, जिससे राज्य को यह भीषण तबाही झेलनी पड़ रही है।
आज यहां आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन में भाईचुंग भूटिया ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि आपदा के बाद से मुख्यमंत्री के बयान हर दिन बदलते रहे हैं। 2008 से आज तक केंद्र सरकार, आपदा प्रबंधन विभाग और वैज्ञानिकों की ओर से कई चेतावनियां दी गई हैं, जिनमें उन्होंने बार-बार ल्होनक झील के खतरे के बारे में आगाह किया है। यहां तक कि केंद्र सरकार ने इस आपदा को रोकने के लिए राज्य सरकार को 20 करोड़ की धनराशि भी मंजूर की। इन सबके बावजूद यह आपदा हुई।
वहीं, पूर्व फुटबॉल कप्तान ने संकट पर मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया की भी आलोचना करते हुए कहा कि आपदा के बाद भी मुख्यमंत्री ने एक संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि उन्हें सुबह 10:40 बजे उसके बारे में जानकारी मिली, जबकि सेना ने मुख्यालय को सुबह 10:30 बजे ही सूचित किया था। इसके बाद एक अन्य संवाददाता सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें सुबह 11:40 बजे सूचना मिली। दरअसल, उन्हें सुबह 10:30 बजे सूचना मिलने के बावजूद वह 11:30 बजे तक जनता दरबार कार्यक्रम में लगे रहे। इसके उलट मुख्यमंत्री की प्राथमिक प्रतिक्रिया तेजी से बचाव अभियान शुरू करने की होनी चाहिए थी।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री पर तीखी टिप्पणी करते हुए भूटिया ने उनके बयानों के समय और प्रकृति पर सवाल उठाते हुए कहा, मुख्यमंत्री मीडिया में यह कहते हुए गए कि बांध निर्माण की गुणवत्ता खराब थी। उन्हें यह किसने बताया और उन्होंने किस समय इसकी जांच की? किस इंजीनियर ने उन्हें सूचित किया? उन्होंने कहा, ऐसे समय में, जब राज्य की जनता पीड़ित एवं व्यथित है, राज्य के मुखिया को राजनीति नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने आपदा को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई जिसके लिए उन्हें जनता से माफी मांगनी चाहिए।
भाईचुंग ने कहा कि बांध टूटने के मुद्दे पर उचित जांच के बिना मुख्यमंत्री एसडीएफ सरकार को दोषी नहीं ठहरा सकते। उन्होंने आरोप लगाया कि तीस्ता त्रासदी से पहले एसकेएम सरकार को साढ़े चार साल का समय मिला था, लेकिन इस अवधि के दौरान बांध की कमजोरी की कोई जांच करने के बजाय सरकार ने बड़े पैमाने पर राजस्व एकत्र किया। उन्होंने कहा कि बांध टूटने के बाद एसकेएम सरकार को बांध निर्माण में धांधली का आरोप लगाने के बजाय इस बात की जांच करानी चाहिए कि सिक्किम ऊर्जा के बांध के गेट समय पर क्यों नहीं खोले गए और घटना की समय पर सूचना क्यों नहीं दी गई।
भाईचुंग भूटिया ने कहा कि अगर सिक्किम एनर्जी का बांध कमजोर था तो भी यह निर्माण कंपनी की जिम्मेदारी थी, यह पिछली सरकार की गलती नहीं है और उन्होंने सिक्किम एनर्जी में सुनील सरावगी की भूमिका और निर्माण कंपनी के काम की जांच की मांग की। इसके अलावा भाइचुंग का सवाल है कि वैज्ञानिकों की चेतावनी के बावजूद सरकार ने ल्होनक झील की सुरक्षा को लेकर क्या किया और इसके विकास के लिए केंद्र सरकार से मिले पैसे को सरकार ने कहां खर्च इस बारे में पूरी जानकारी जनता को दी जानी चाहिए।
No Comments: